मुख्तार अंसारी का आखिरी पैंतरा भी हुआ फेल, अब जाना ही होगा यूपी की जेल
मुख्तार अंसारी का उत्तर प्रदेश पुलिस के चंगुल से बचने का आखिरी दांव भी शुक्रवार को फेल हो गया.
मोहाली: सुप्रीम कोर्ट के बाद अब मोहाली कोर्ट से भी बाहुबली मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका लगा है. मोहाली कोर्ट ने मुख्तार अंसारी की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने अपने खराब सेहत का हवाला देते हुए मेडिकल बोर्ड गठन करने की मांग की थी.
न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित बख्शी की अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार आरोपी को यूपी पुलिस को सौंपा जाना है. आरोपी चूंकि यहां न्यायिक हिरासत में है, लिहाजा यूपी स्थानांतरित करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि उसे 12 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए अदालत के समक्ष पेश किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था पंजाब से यूपी भेजने का आदेश
इसके साथ ही मोहाली कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी मुख्तार अंसारी का कोई ताजा चिकित्सा मुद्दा सामने नहीं आया है, लिहाजा इलाज के लिए अलग से बोर्ड गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि जेल अधीक्षक से भी जवाब तलब करने की कोई वाजिब वजह नहीं है.
गौरतलब है कि 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दो हफ्ते के अंदर मुख्तार को यूपी शिफ्ट किया जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि ये विशेष कोर्ट तय करेगी कि अंसारी को इलाहाबाद या बांदा किस जेल में शिफ्ट किया जाए.
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पंजाब के वकील ने कहा था, असंवैधानिक है प्रक्रिया
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि यूपी सरकार की मांग संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है. अगर इसे माना गया तो भविष्य में ऐसे मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी. उन्होंने कोर्ट से यूपी की याचिका खारिज करने की मांग करते हुए कहा था कि ये याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत भी मेंटेनेबल नहीं है.
मुख्तार अंसारी को लेकर यूपी सरकार जिस आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मांग की, वह मांग न्यायपालिका के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है.
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