Punjab News: पंजाब में खेतों में आग लगाने की कम से कम 379 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें संगरूर जिले में ऐसी घटनाओं की संख्या सबसे अधिक रही. पीटीआई समाचार एजेंसी ने शनिवार को यह जानकारी दी.


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पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के अनुसार, 66 मामलों के साथ संगरूर सबसे बड़ा जिला बना हुआ है, जिसके बाद 50 मामलों के साथ फिरोजपुर और 42 मामलों के साथ तरनतारन का स्थान है.


PTI के अनुसार, अमृतसर में पराली जलाने की करीब 27 घटनाएं, बठिंडा में 28, मोगा में 26, पटियाला में 21 और कपूरथला तथा लुधियाना में 15-15 घटनाएं दर्ज की गईं.


जिन जिलों में पराली जलाने की घटनाएं एकल अंकों में दर्ज की गईं, उनमें फाजिल्का (एक), रूपनगर (दो), होशियारपुर (दो), फरीदकोट (छह), जालंधर (आठ), मलेरकोटला (पांच), बरनाला (छह) और एसबीएस नगर (तीन) शामिल हैं.


राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में इस सीजन की सबसे बड़ी वृद्धि शुक्रवार को 587 मामलों के साथ दर्ज की गई. संगरूर में सबसे अधिक 79 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद फिरोजपुर में 70 मामले और तरनतारन में 59 मामले दर्ज किए गए.


पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से 2 नवंबर तक राज्य में पराली जलाने की 3,916 घटनाएं हुई हैं. पिछले कुछ दिनों में पराली जलाने की घटनाओं में भारी उछाल आया है.


क्यों पराली जला रहे किसान?
HT की रिपोर्ट के मुकाबिक, कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि किसानों के लिए अगली फसल बोने का समय कम होता जा रहा है.


अधिकारियों ने कहा, 'अगली फसल बोने का समय कम होता जा रहा है, क्योंकि किसानों को अच्छी उपज पाने के लिए 15 नवंबर तक गेहूं बोना पड़ता है. इसलिए, वे अगली फसल के लिए धान के खेतों को साफ करने के लिए पराली जलाने का सहारा ले रहे हैं.'


अक्टूबर-नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है.


राज्य में 2023 में 36,663 खेत में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले वर्ष की तुलना में ऐसी घटनाओं में 26 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. पीटीआई के अनुसार, 2022 में 49,922, 2021 में 71,304, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210 और 2018 में 50,590 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं.


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