नई दिल्लीः यूपी की चित्रकूट जेल में शुक्रवार को तीन बड़े अपराधी आपस में ही लड़कर मर गए. इन तीनों का जुर्म की दुनिया से लंबा वास्ता रहा था. इनपर हत्याओं, वसूली और फर्जीवाड़े के कई केस दर्ज थे. जेल के भीतर हुए इस तिहरे हत्याकांड की चर्चा तो जोरों पर है ही लेकिन इसी के साथ 3 साल पुरानी एक और कहानी लोगों के दिमाग में फिर से घूमने लगी है जो चित्रकूट में घटी आज की घटना से न सिर्फ मेल खाती है बल्कि इसके किरदारों से भी जुड़ी हुई है.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं यूपी की ही बागपत जेल में 9 जुलाई 2018 को हुए हत्याकांड की जिसमें यूपी के माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या हो गई थी.
कहानी वही, किरदार नए पर अलग नहीं
चित्रकूट जेल में शुक्रवार को जो कुछ घटा वो 3 साल पहले बागपत की जेल में भी घटा था. तब मुन्ना बजरंगी की हत्या हुई थी और अब जान गंवाने 3 लोग हैं. जिसमें एक मुकीम काला, दूसरा अंशुल तो तीसरे का नाम है मेराजुद्दीन.
मेराजुद्दीन वही शख्स है जिसका नाम कृष्णानंद राय की हत्या में मुन्ना बजरंगी के साथ आया था. यही नहीं ये भी कहा जा रहा था कि मुन्ना की हत्या के बाद मेराज ही उसकी विरासत संभाल रहा था.
गैंगस्टर बनना सपना था
मुन्ना बजरंगी भले ही इस दुनिया में नहीं है लेकिन पूर्वांचल में आतंक का जिक्र जब भी होता है मुन्ना बजरंगी का नाम खुद ब खुद जुबान पर आ जाता है. उसपर 40 से अधिक हत्याओं का केस दर्ज था. मुन्ना की जिंदगी भी फिल्मी कहानी से अलग नहीं थी. होती भी कैसे. मुन्ना के बचपन का सपना ही थी फिल्मी दुनिया की तरह एक बड़ा माफिया बनने का.
उसके पिता उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे लेकिन मुन्ना को बड़ा आदमी तो बनना था लेकिन उसके लिए जो रास्ता उसने चुना वो लाशों के ढेर से होकर जाता था.
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11 गोली लगी थी फिर भी...
1998 की बात है, जब दिल्ली पुलिस ने मुन्ना बजरंगी का एनकाउंटर किया था. बताते हैं कि इस मुठभेड़ में मुन्ना को करीब 11 गोलियां लगी थी. मुठभेड़ के बाद पुलिस ने उसे हिला डुलाकर देखा भी था. पुलिस ने दावा किया कि मुन्ना मर गया है. उसे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन डॉक्टर्स के पास पहुंचते ही मुन्ना ने अपनी आंखे खोल दी थी. बताते हैं कि उस वक्त वहां मौजूद डाक्टर्स और अन्य लोग घबरा गए थे कि ये आदमी बच कैसे गया.
बागपत जेल में खत्म हुआ खेल
बागपत जेल में 9 जुलाई 2018 को मुन्ना की हत्या कर दी गई थी. उसे 6 गोलियां मारी गई थी. खास बात यह रही थी कि उसे एक दिन पहले ही झांसी की जेल से बागपत जेल में शिफ्ट किया गया था. लेकिन अगले ही दिन सुबह उसकी जेल में हत्या कर दी गई थी.
इस हत्याकांड के बाद काफी बवाल हुआ था. कई लोगों ने यूपी प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया था.
चित्रकूट जेल में क्या हुआ
बताते हैं कि चित्रकूट जेल में अंशु दीक्षित नामक एक बदमाश ने सुबह लगभग 10 बजे मुकीम काला और मेराज अली को गोली मार दी. उसने 5 अन्य बंदियों को अपने कब्जे में कर लिया और उन्हें जान से मारने की धमकी देने लगा. मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे भी गोली मार दी.
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