नई दिल्ली. देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने बीते दो दशकों के दौरान राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का चयन करने में नई तरह की मिसाल पेश की है. 2007 में दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत को छोड़ दें तो 2002, 2012, 2017 और फिर 2022 में बीजेपी ने ऐसे प्रत्याशियों का चयन किया जो या तो समाज के बेहद कमजोर तबकों से ताल्लुक रखते थे या फिर उत्तर-पूर्व जैसे सुदूर इलाकों से. इनमें से एक बार को छोड़कर तीन बार बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए कामयाब रहा. सिर्फ एक बार यानी 2012 में एनडीए के प्रत्याशी को यूपीए के प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा था. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

देश के मिसाइल मैन अब्दुल कलाम को बनाया प्रत्याशी
पहली कहानी शुरू होती है साल 2002 से जब देश के प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी और केंद्र में तकरीबन 30 दलों के सहयोग से काबिज थी भारतीय जनता पार्टी. तब बीजेपी ने करगिल युद्ध के बाद देश में मिसाइल मैन के नाम से मशहूर हो चुके लोकप्रिय वैज्ञानिक अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था. यह देश में पहली बार हुआ था जब किसी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार किसी वैज्ञानिक को बनाया गया था. बीजेपी के इस सेलेक्शन से विपक्षी दल भी हैरान हो गए थे. जयललिता की अगुवाई वाली AIADMK, चंद्रबाबू नायडु की अगवाई वाली TDP और बहुजन समाज पार्टी ने भी अब्दुल कलाम को समर्थन दिया था. 


लेफ्ट फ्रंट ने बनाया था कैप्टन लक्ष्मी सहगल को प्रत्याशी
वामपंथी पार्टियों के गठबंधन लेफ्ट फ्रंट ने अब्दुल कलाम को प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध किया था, बाद में लेफ्ट फ्रंट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आजाद हिंद फौज में झांसी की रानी रेजिमेंट की कमांडर लक्ष्मी सहगल को उम्मीदवार बनाया था. खैर चुनाव में अब्दुल कलाम की जबरदस्त जीत हुई. बाद में एनडीए के इस चयन पर और मुहर तब लगी जब कलाम को देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपतियों में गिना गया. 


2007 में भैरों सिंह शेखावत को बनाया था उम्मीदवार, देश को मिली पहली महिला राष्ट्रपति
2007 के राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत को बनाया था. इस चुनाव में देश की सत्ता में सत्तारूढ़ यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस यानी यूपीए की कैंडिडेट प्रतिभा देवी सिंह पाटिल थी. इस चुनाव में एनडीए प्रत्याशी की हार हुई थी. बीते दो दशकों के दौरान शेखावत ही ऐसे नेता थे सवर्ण समुदाय से ताल्लुक रखते थे. 


2012 के चुनाव में उत्तर-पूर्व के आदिवासी नेता को किया सपोर्ट
इसके बाद 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए की तरफ से दिग्गज कांग्रेसी नेता प्रणब मुखर्जी को उम्मीदवार बनाया गया था. प्रणब मुखर्जी के सामने खड़े हुए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा. मेघालय से ताल्लुक रखने वाले पीए संगमा को नवीन पटनायक, प्रकाश सिंह बादल, मनोहर पर्रिकर, नितिन गडकरी, लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे नेताओं का समर्थन हासिल था. यानी भारतीय जनता पार्टी ने तब भी उत्तर-पूर्व के एक आदिवासी नेता को देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचाने की पूरी कोशिश की थी. हालांकि उस चुनाव में यूपीए प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी चुनाव जीतकर देश के राष्ट्रपति बने थे.


रामनाथ कोविंद के नाम को बताया गया था 'मास्टर स्ट्रोक'
फिर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी एक ऐसा नाम लेकर आई जिसे राजनीति की भाषा में मास्टर स्ट्रोक कहा गया. बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद को एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद विपक्ष भी एक बार चकित रह गया था. वहीं कांग्रेस की तरफ से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को प्रत्याशी बनाया गया था. इस चुनाव में रामनाथ कोविंद को इलेक्टोरल कॉलेज के दो-तिहाई से ज्यादा वोट मिले थे. यानी उनकी जबरदस्त जीत हुई थी. 


द्रौपदी मुर्मूं जीतीं तो बनेगा इतिहास
इस बार के चुनाव में जब विपक्षी दलों की तरफ से यशवंत सिन्हा का नाम घोषित किया तो फिर बीजेपी ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाया है. अब अगर मुर्मू चुनाव जीतती हैं तो आदिवासी महिला के रूप में देश की राष्ट्रपति बनने वाली वो पहली महिला होंगी. 


इसे भी पढ़ें- क्या राज ठाकरे बनेंगे एकनाथ शिंदे गुट की सीढ़ी? सत्ता दिलाने में निभाएंगे किंगमेकर की भूमिका!


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.