छिड़ गया `मजहबी युद्ध`, क्या सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा समझदार हैं शरद पवार?
राम मंदिर निर्माण की तारीख के ऐलान से पहले सरकार विरोधी नेताओं ने `मजहबी पॉलिटिक्स` का फॉर्मूला अपना लिया है. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि सरकार अयोध्या में ढहाई गई बाबरी मस्जिद के लिये भी ट्रस्ट बनाए. पवार ने कहा कि देश सबका और सबके लिए है.
नई दिल्ली: एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने लोगों को धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाया है. शरद पवार ने कहा है कि अयोध्या में जैसे मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट बनाया जा सकता हैं, मस्जिद के लिए ट्रस्ट क्यों नहीं बनाया जा सकता.
शरद पवार की 'मजहबी पॉलिटिक्स'
'आप जैसे मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट बना सकते हैं'
'मस्जिद बनाने के लिए ट्रस्ट क्यों नहीं बनाते?'
देश तो सभी का है, दोनों की इच्छा पूरी हो: पवार
क्या सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा समझदार हैं शरद पवार?
लखनऊ के एक कार्यक्रम में शरद पवार ने केंद्र सरकार से ये सवाल किया. उन्होंने कहा कि सरकार अयोध्या में ढहाई गई बाबरी मस्जिद के लिये भी ट्रस्ट बनाए. मुस्लिम वोटबैंक को हथियाने के मकसद से शरद पवार कुछ भी बोल जाते हैं. वो शायद ये भूल गए कि देश की सर्वोच्च अदालत ने ये माना है कि उस विवादित स्थल पर कोई इस्लामिक ढांचा नहीं था. ऐसे में शरद पवार ने सीधे तौर पर देश की न्यायपालिका पर सवाल खड़ा कर दिया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा समझदार हैं शरद पवार?
भाजपा और NCP के बीच छिड़ गई जंग
वहीं बीजेपी और एनसीपी इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गए हैं. भाजपा नेता रामचंदर राव नारापाराजू और एनसीपी लीडर नवाब मलिक ने एक दूसरे पर तीखा प्रहार किया है. BJP के रामचंदर ने कहा कि "ये तो मुस्लिम लीडर का पैरोग्रेटिव है. वो आएं बोलें, उनके बिहाफ पर बात करना, क्या ये वोट बैंक पॉलिटिक्स नहीं है? ऐसे बयान कम्युनल हॉरमनी को खराब करते हैं."
वहीं NCP नेता नवाब मलिक का कहना है कि "कोर्ट ने आदेश दिया, सरकार ने अमल शुरु किया. मस्जिद का ट्रस्ट बने, ये सरकार की तरफ से पहल होना चाहिए. जमीन लेना है कि नहीं, कुछ सेक्शन में एक मत नहीं बन पाई है. सरकार 25 साल से मंदिर के नाम पर राजनीति करने वाला दल है. सरकार कोई बात नहीं कर रही है."
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उधर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने उम्मीद जताई है कि मंदिर का निर्माण जल्द ही शुरू हो जाएगा. लेकिन तारीख के ऐलान से पहले सरकार विरोधियों की गंदी पॉलिटिक्स सामने आने लगी है. ऐसे में देश में मजहबी पॉलिटिक्स को हवा देने की कोशिश की जाने लगी है.
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