नई दिल्लीः पाकिस्तान से करीब 200 हिंदू सोमवार को आगंतुक वीजा पर भारत पहुंचे. अधिकारियों ने कहा कि इनमें से कई वापस नहीं जाना चाहते. वे खुद को पाकिस्तान में असुरक्षित बता रहे हैं. सभी लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के बाद भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद है. अटारी बॉर्डर पर अकाली नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष मजिंदर सिंह सिरसा ने पाकिस्तान से आए चार परिवारों का स्वागत किया। उनका दावा है कि ये लोग धार्मिक उत्पीड़न की वजह से पाकिस्तान चले गए थे. 


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सिरसा ने किया ट्वीट
सीमा सुरक्षा अधिकारियों का दावा है कि जनवरी में अटारी-वाघा से होकर देश में आने वाले पाकिस्तानी हिंदू पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. सोमवार को भारत पहुंचे अधिकांश पर्यटक पाकिस्तान के सिंध और कराची से हैं. उनमें से कई बोरिया-बिस्तर लेकर आए हैं और कहा कि भारत सरकार से देश में शरण मांगेंगे. सिरसा ने ट्वीट कर बताया है कि पाकिस्तान में रहने वाले कई हिंदू परिवार वहां की तंग नीतियों से परेशान होकर भारत आए हैं. 



सीएए से उम्मीद जगी
एक पाकिस्तानी हिंदू ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि सीएए (CAA ) लागू होने के बाद पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान के हिंदू और सिख भारतीय नागरिकता मिलने को लेकर आशान्वित हैं. कहा गया कि इनमें से अधिकांश लोग राजस्थान में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए हैं. CAA के बाद उन्हें उम्मीद है कि वह भारत की नागरिकता लेकर सुकून से यहां दिन गुजार सकेंगे. पिछले दिनों पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों से उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं. 


मंडप से हिंदू लड़कियों को उठाने की हुई है वारदात
पाकिस्तान में पिछले महीने जनवरी में हिंदु लड़कियों को अगवा किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं. आरोप लगाया गया है कि जबरन धर्म परिवर्तन कराने के बाद उनका निकाह करा दिया गया है. यह घटनाएं कराची के पास और सिंध प्रांत में रिपोर्ट की गई हैं. इस मामले ने भारत ने पाकिस्तान से नाराजगी जताई थी और अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही थी. 


हिंदू मंदिर भी तोड़ा गया
पत्रकार नायला इनायत ने पाकिस्तान में एक हिंदू देवी मंदिर को क्षति पहुंचाने और उसे विखंडित करने की घटना सामने रखी थी. उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि एक और हिंदू मंदिर को खंडित किया गया. मंदिर में देवी प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने के साथ ही वहां रखी धार्मिक पुस्तकें नष्ट कर दी गई थीं और मंदिर की दीवारों पर अपशब्द लिखे गए थे.