भारत के आगे झुकने को विवश नेपाल, तनाव खत्म करने के लिए हुई अधिकारियों में वार्ता
भारत के आगे हेकड़ी दिखाने का दुस्साहस करने वाला नेपाल अब झुक गया गया है. नेपाल की वामपंथी सरकार चीन की चालबाजी में फंसकर भारत से टक्कर लेने की कल्पना कर रही थी लेकिन उसकी हेकड़ी अब हवा में उड़ गई है.
नई दिल्ली: भारत और नेपाल के बीच बीते कुछ महीनों से बहुत कड़वाहट आ गयी थी. नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने चीन की कम्युनिस्ट सरकार के बहकावे में आकर भारत से रिश्ते तल्ख कर लिए थे. अब नेपाल को भारत की चौखट पर झुकना पड़ा है.
कम्युनिस्ट सरकार आखिर भारत के आगे नतमस्तक होने को विवश हो गयी है. स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी और नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली में आपसी मुद्दों पर फोन से बातचीत हुई थी.
दोनों देशों के अधिकारियों में हुई वार्ता
आपको बता दें कि भारत और नेपाल के अधिकारियों के बीच सोमवार को काठमांडू में बैठक हुई. वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई इस बातचीत में भारत की मदद से नेपाल में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की गई. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और नेपाल में भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा ने भाग लिया.
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नक्शा विवाद के बाद पहली बार हुई अधिकारियों के बीच बैठक
गौरतलब है कि नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया. जून में नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया. भारत नेपाल बैठक में भारत के राजदूत ने आश्वासन दिया कि वह नेपाल की मदद से पीछे नहीं हटेगा और अन्य परियोजनाओं में भी लगातार सहयोग करता रहेगा.
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पीएम मोदी और केपी शर्मा ओली में हुई थी वार्ता
उल्लेखनीय है कि स्वाधीनता दिवस के मौके पर पीएम मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बीच वार्ता हुई थी. कोरोना काल मे भारत और नेपाल के बीच मतभेद हुए और नेपाल ने चीन के बहकावे में आकर भारत विरोधी बातें की. नेपाल की वामपंथी सरकार ने हिन्दू धर्म के साथ भी छेड़छाड़ की लेकिन भारत ने नेपाल के संकट में कभी उसका साथ नहीं छोड़ा और हमेशा उसे मदद करता रहा था.