नई दिल्ली: भारत में करीब 34 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जिसमें से केवल 30 प्रतिशत कचरे का ही पुनर्चक्रण (री-साइक्लिंग) किया जाता है. पांच साल की अवधि में देश में प्लास्टिक की खपत सालाना आधार पर 9.7 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2016-17 के 1.4 करोड़ टन से वित्त वर्ष 2019-20 में दो करोड़ टन हो गई है. मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन की राष्ट्रीय राजधानी में जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. 


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भारत का प्लास्टिक कचरा उत्पादन हुआ दोगुना
'प्लास्टिक, द पोटेंशियल एंड पॉसिबिलिटीज' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि उक्त अवधि के बीच भारत का प्लास्टिक कचरा उत्पादन भी दोगुना हो गया.


रिपोर्ट को भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और प्रैक्सिस ग्लोबल अलायंस के सहयोग से तैयार किया गया है. इसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु मिलकर भारत में उत्पन्न होने वाले कुल प्लास्टिक कचरे में 38 प्रतिशत का योगदान करते हैं.


एक साल में 34 लाख टन पैदा होता है प्लास्टिक कचरा
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 'भारत में प्लास्टिक की खपत पिछले पांच वर्षों में काफी तेज गति से बढ़ी है, और इसलिए इसका कचरा भी बढ़ा है. भारत एक वर्ष में 34 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा करता है, इसका केवल 30 प्रतिशत पुनर्नवीनीकरण किया जाता है.'


रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है, 'भारत में डंपिंग के बजाय रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करने के लिए 'लैंडफिल' और 'इंसिनरेशन' कर लगाया जाना चाहिए.'
(इनपुट: भाषा)


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