जान की कीमत पर सियासी दुकान चमका रही हैं विपक्षी पार्टियां
देश की राजधानी दिल्ली को जलाने वाले दंगाईयों के खिलाफ जब हर किसी को एक सुर में सुर मिलाकर आवाज उठाने की जरूरत है तो, कांग्रेस पार्टी समेत सभी विरोधियों ने अपनी-अपनी राजनीतिक दुकान सजानी और चमकानी शुरू कर दी है. कांग्रेस, AAP, AIMIM और BSP इस पंक्ति में सबसे आगे खड़ी दिखाई दे रही है.
नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में रविवार से जारी हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस की ज़िम्मेदारी पर सवाल तो पहले से ही उठने शुरू हो गए थे. लेकिन दंगाईयों की करतूत इस कदर बढ़ गई कि चौथे दिन भी बवाल हुई तो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उनका गृह मंत्रालय भी सवालों में आ गया है.
विरोधियों ने मोदी सरकार को बताया दंगे का जिम्मेदार
बुधवार को कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने दिल्ली हिंसा के लिए केंद्र की मोदी सरकार को ज़िम्मेदार बता दिया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दावा किया कि केंद्र की BJP सरकार ने जानबूझकर दिल्ली हिंसा को रोकने की कोशिश नहीं की. सोनिया ने आरोप लगाया कि दिल्ली हिंसा में हुई हर मौत के लिए गृहमंत्री अमित शाह ज़िम्मेदार हैं और उन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा देना ही चाहिये.
सोनिया गांधी ने केंद्र के अलावा दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर भी निशाना साधा, सोनिया ने 5 सवाल पूछे और कहा कि
1. रविवार से गृह मंत्री कहां थे और क्या कर रहे थे?
2. दिल्ली के सीएम केजरीवाल कहां थे और क्या कर रहे थे?
3. इंटेलीजेंस इनपुट के आधार पर क्या कार्रवाई की गई?
4. दिल्ली में हिंसा वाली जगहों पर कितने पुलिसवालों की तैनाती की गई?
5. बेकाबू हालात में पुलिस के नाकाम होने पर केंद्रीय बलों को क्यों नहीं बुलाया गया?
दिल्ली हिंसा को लेकर जारी राजनीतिक बयानबाज़ी के बीच बीजेपी ने भी कांग्रेस और विपक्ष पर पलटवार किया है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोनिया गांधी के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताते हुए कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष के ऐसे बयान से दिल्ली पुलिस का हौसला गिरेगा. वहीं केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष दिल्ली हिंसा पर राजनीति कर रहा है.
इन पार्टियों ने गृहमंत्री अमित शाह से मांगा इस्तीफा
दरअसल, BJP को दिल्ली हिंसा पर विपक्ष के खिलाफ पलटवार करने की नौबत इसलिये आई. क्योंकि आज हिंसा के चौथे दिन कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल केंद्र के खिलाफ आक्रामक हो गये. आज कांग्रेस ने जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नैतिक आधार पर इस्तीफा मांगा. वहीं AAP, AIMIM और BSP ने भी हिंसा के लिए दिल्ली पुलिस पर वक्त रहते कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाये.
आम आदमी पार्टी का दिल्ली में हुए दंगे पर "दोहरा चरित्र"
कल तक दिल्ली दंगे को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के साथ मिलकर काम करने की बात कही थी. लेकिन दिन ढलने के साथ ही उनके अंदाज भी बदल गए. दंगाईयों के आतंक को लेकर दिल्ली सरकार भी केंद्र के खिलाफ आक्रामक दिखी. पहले सीएम केजरीवाल ने ट्वीट कर हिंसा प्रभावित इलाकों में सेना की तैनाती की मांग रखी. तो बाद में AAP सांसद संजय सिंह ने भी हिंसा को सोची समझी साज़िश करार दिया.
वहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने दिल्ली हिंसा को केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार की लापरवाही का फल बताया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि "दिल्ली के कुछ क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों की हिंसा, उपद्रव व आगजनी की घटनाओं में भारी जान-माल की क्षति अति-दुःखद व अति-निन्दनीय. केन्द्र व दिल्ली सरकार इसे पूरी गंभीरता से लेकर इसकी उच्च स्तरीय जांच कराए व सभी लापरवाही व दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, यह बीएसपी की मांग है."
वहीं AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि हिंसा को रोकने को लेकर दिल्ली पुलिस ने पुरजोर कोशिश की ही नहीं. हालांकि दिल्ली हिंसा पर तमाम राजनीति करने के बावजूद कोई भी राजनेता आज भी किसी हिंसा पीड़ित परिवार के घर नहीं पहुंचा.
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अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि शायद हिंसा पीड़ितों से मिलकर संवेदनायें जताने वाली राजनीति का चैप्टर बाद में लिखा जाएगा. जिस मुद्दे पर राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट होकर और कदम से कदम मिलाकर दंगे को रोकने के लिए काम किया जाना चाहिए था, वहीं राजनीति की दुकान सजाई जा रही हैं.
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