नई दिल्ली. तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं. शिक्षक भर्ती घोटाले में फंसे पार्थ चटर्जी को बीते कुछ दिनों में कई झटके लगे हैं. बीते शुक्रवार को इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पार्थ चटर्जी के घर पर छापा मारा था और उसके बाद एक के बाद एक तार खुलते गए हैं. शुक्रवार के दिन ही ईडी ने पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से करीब 21 करोड़ रुपये कैश बरामद किए थे. इतने बडे़ स्तर पर कैश की बरामदगी के बाद ईडी ने जांच की रफ्तार की तेज कर दी.


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इसके ठीक एक दिन बाद यानी शनिवार को निचली अदालत ने पार्थ चटर्जी को ईडी की हिरासत में भेज दिया था. लेकिन पार्थ की तबीयत ठीक न होने को लेकर उनके वकील ने हाईकोर्ट में अर्जी दी थी. इस पर कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को पार्थ चटर्जी को सबसे बड़ा झटका भुवनेश्वर एम्स से लगा. दरअसल आज सुबह में पार्थ चटर्जी का एक वीडियो जारी हुआ था जिसमें वो सीने के पास हाथ रखे दिख रहे हैं. वीडियो देखकर लग रहा था कि पार्थ को सीने में तकलीफ है.



लेकिन पार्थ चटर्जी के हावभाव से बिल्कुल उलट मेडिकल रिपोर्ट आई है. भुवनेश्वर एम्स ने साफ कर दिया है कि पार्थ चटर्जी को भर्ती किए जाने की कोई जरूरत नहीं है. एम्स के डायरेक्टर डॉ. आशुतोष विश्वास ने कहा- पार्थ चटर्जी को कोई गंभीर परेशानी नहीं है. उन्हें कुछ क्रॉनिक दिक्कतें हैं जिनके लिए हमने सलाह दे दी हैं. उन्हें अस्पताल में भर्ती किए जाने की कोई जरूरत नहीं है. उन्हें सीने में ज्यादा दर्द नहीं है. उन्हें आज डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.'



इस मामले में ईडी पार्थ की करीब अर्पिता चटर्जी को भी गिरफ्तार कर चुकी है जिनके घर से 21 करोड़ कैश की बरामदगी हुई थी. गिरफ्तारियों और जांच के बढ़ते दायरे ने तृणमूल कांग्रेस के लिए रक्षात्मक स्थितियां पैदा कर दी हैं. यही कारण है कि आज खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस मामले में बयान देना पड़ा है. हालांकि ममता के बयान से साफ है कि पार्थ की कोई मदद नहीं करने जा रही हैं. ममता बनर्जी ने कहा- मैं भ्रष्टाचार और किसी भी तरह के गलत काम का समर्थन नहीं करती. अगर कोई दोषी साबित होता है और उसे आजीवन कारावास की सजा भी मिलती है तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मेरा नाम इसमें मत खींचिए. मैं सरकार से सैलरी तक नहीं लेती.'



क्यों महत्वपूर्ण है ममता का बयान?
ममता के इस बयान को पार्थ चटर्जी से 'पल्ला झाड़ने' के रूप में भी देखा जा रहा है. दरअसल ऐसी भी खबरें आई थीं कि पार्थ गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी ने उनके (पार्थ) फोनकॉल नहीं रिसीव किए. 


अभी खुल सकते हैं कई राज
इस मामले में आशंका जताई जा रही है कि भर्ती करने के लिए बड़ी मात्रा में पैसों का लेन-देने किया गया है. अब तक इस केस में कई नामी लोगों को नामजद भी किया जा चुका है. ईडी ने राज्य के वर्तमान शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी के घर पर भी छापा मारकर कार्रवाई की है. यह घोटाला तब हुआ था जब पार्थ चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री पद पर थे. 


कैसे हुई जांच की शुरुआत
बीते साल नवंबर महीने में कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजित गंगोपाध्याय की बेंच ने पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में ग्रुप डी स्टाफ की भर्ती में घाटाले की प्राथमिक सीबीआई जांच करवाने का आदेश दिया था. यह आदेश एक अभ्यर्थी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया था.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यायालय ने पाया था कि कथित घोटाले की जड़ में तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा बनाई गई एक उच्चाधिकार पर्यवेक्षक कमेटी थी. पार्थ चटर्जी इस मामले में दो बार सीबीआई के सामने पेश भी हो चुके हैं. जांच के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी बना तो प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू की.


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