नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 68वीं पुण्यतिथि पर बुधवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के उनके प्रयासों को याद किया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शाह बोले- मुखर्जी ने भारत को पुनः विभाजन से बचाया


मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहा हूं. उनके महान आदर्श, समृद्ध विचार और लोगों की सेवा करने की प्रतिबद्धता हमें प्रेरित करती रहेगी. राष्ट्रीय एकता के उनके प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.’’



केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुखर्जी को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का शिल्पी बताया और कहा कि वह ना सिर्फ मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने के पक्षधर थे बल्कि मानते थे कि विकास में जनभागीदारी के बिना कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता.



उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने सत्ता की लालसा नहीं बल्कि राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के ध्येय को लेकर जनसंघ की स्थापना की. मुखर्जी ने देश की अस्मिता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. उन्होंने भारत का पुनः विभाजन होने से बचाया. उनका त्याग, समर्पण और उनके आदर्श युग-युगांतर तक आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे. ऐसे अभिजात देशभक्त के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटिशः नमन.’’


इन भाजपा नेताओं ने भी दी श्रद्धांजलि 


भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने ट्वीट किया, ‘‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा लेकर भारत की एकता-अखंडता के लिए, अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के नाम समर्पित करने वाले, जनसंघ के संस्थापक, महान राष्ट्रभक्त श्रद्धेय डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन!’’



रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘भारतीय जनसंघ के संस्थापक एवं हम सबके प्रेरणास्रोत, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के अवसर पर मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण एवं नमन करता हूं. उनके विचार देश और समाज को सदैव दिशा देते रहेंगे.’’



यह भी पढ़िए: एलर्जी के बावजूद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को क्यों दिया गया था स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन?


रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी मुखर्जी की मौत
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मुखर्जी को अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में शामिल किया था लेकिन नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच हुए समझौते के पश्चात उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था.


मुखर्जी ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुखरता से विरोध किया था.


मुखर्जी को 11 मई 1953 को परमिट सिस्टम का उल्लंघन कर कश्मीर में प्रवेश करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था. वर्ष 1953 में 23 जून को जेल में रहस्यमयी परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी थी.


भाजपा उनकी पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मनाती है.


जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करना भाजपा का बहुत पुराना मुद्दा रहा है. वर्ष 2019 में दोबारा सत्ता में आने के बाद मोदी जब दूसरी बार प्रधानमंत्री बनें तो केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया.


यह भी पढ़िए: अब 'रोमियो' करेगा भारत की समुद्री सीमा की निगरानी, बढ़ेगी ताकत दुश्मनों को होगी परेशानी


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.