एलर्जी के बावजूद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को क्यों दिया गया था स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन?

आजादी के बाद के भारतीय इतिहास में यह किसी से छिपा नहीं है कि पहले पीएम रहे नेहरू के कई फैसले ऐसे रहे, जिनकी कीमत देश को सामाजिक मूल्यों की हानि पर चुकानी पड़ी. बंटवारे के साथ ही दंगों की शुरुआत हो चुकी थी और फिर इसके बाद सामने आया नेहरू-लियाकत पैक्ट. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस पर नाराजगी जताई थी. 

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : Jun 23, 2021, 10:25 AM IST
  • 6 जुलाइ 1901 को कोलकाता में जन्में थे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
  • नेहरू-लियाकत पैक्ट के बाद दे दिया था नेहरू सरकार से इस्तीफा
एलर्जी के बावजूद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को क्यों दिया गया था स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन?

नई दिल्लीः Death Anniversary Dr. Shayama Prasad Mukharjee : 23 जून 2021 की सुबह आने वाली यह खबर बिल्कुल दिलचस्प है. मसला है कि कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें मांग की गई है कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज ही के दिन 1953 को हो गई रहस्यमय मौत की जांच की जाए और इसके लिए एक कमीशन गठित किया जाए. 

भारत का राजनीतिक इतिहास और विडंबनाएं

भारत के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो यहां ऐसी कई मौतें फाइलों में दर्ज मिलेंगी जो विडंबना बन कर रह गईं. 1945 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कथित मृत्यु से शुरू हुआ सिलसिला आगे तक जारी रहा, जिसकी जद में पहले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी आए, फिर आए पं. लाल बहादुर शास्त्री और आगे चलकर पं. दीन दयाल उपाध्याय की मृत्यु भी इसी की कड़ी बनी. 

क्या राजनीतिक विरोध बना मौत की वजह

ऐसी राजनीतिक मौतों की कड़ी और भी नामों तक गई होगी और इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के लोग भी जद में आए होंगे (कई वैज्ञानिकों के नाम शामिल), बल्कि दबी जुबान में उनके नाम लिए भी जाते हैं. लेकिन बोस से लेकर उपाध्याय तक ये चार नाम ऐसे हैं, जो अपने समय में राजनीतिक तौर पर पांसा पलट रहे थे या यूं कहें अपने राजनीतिक विरोधी को सीधे-सीधे टक्कर दे रहे थे, उनकी शख्सियतों पर असर डाल रहे थे. 

जानकारी के मुताबिक, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Dr.Shyama Prasad Mukharjee) की जांच के मामले में याचिकाकर्ता ने याचिका इस बात का जिक्र किया है कि 23 जून, 1953 के दिन जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Dr.Shyama Prasad Mukharjee) की मौत हुई थी तब अटल बिहारी बाजपेयी ने आरोप लगाया था कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत के पीछे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की साजिश थी. 

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डॉ. मुखर्जी ने दिया था इस्तीफा

आजादी के बाद के भारतीय इतिहास में यह किसी से छिपा नहीं है कि पहले पीएम रहे नेहरू के कई फैसले ऐसे रहे, जिनकी कीमत देश को सामाजिक मूल्यों की हानि पर चुकानी पड़ी. बंटवारे के साथ ही दंगों की शुरुआत हो चुकी थी और फिर इसके बाद सामने आया नेहरू-लियाकत पैक्ट. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Shyama Prasad Mukharjee) तब नेहरू की पहली ही सरकार में मंत्री थे और इस पैक्ट पर नाराज होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 

इसी दौरान का एक दिलचस्प किस्सा भी सामने आता है जो नेहरू और मुखर्जी के बीच के रिश्तों की पैमाइश करता चलता है. ये तब की बात है कि जब देश में पहले-पहले आम चुनाव हुए थे और इसके तुरंत बाद ही दिल्ली में नगरपालिका चुनाव हो रहे थे. कांग्रेस से अलग होकर डॉ. मुखर्जी अपनी जनसंघ बना चुके थे और इस चुनाव में कांग्रेस के साथ उसकी जोरदार टक्कर थी. 

दिल्ली का नगरपालिका चुनाव

इसी दौरान संसद में श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Dr.Shyama Prasad Mukharjee) ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह वाइन और मनी के जरिए चुनाव जीतने की कोशिश में है. इस आरोप का नेहरू ने विरोध किया.

बताया जाता है कि नेहरू के विरोध की असल वजह यह आरोप नहीं था, बल्कि वह इस आरोप को ही कुछ और समझ बैठे थे. पं. नेहरू ने समझा कि डॉ. मुखर्जी  (Shyama Prasad Mukharjee) ने वाइन और वुमेन कहा है. उन्होंने खड़े होकर इसका विरोध किया.

जब पीएम नेहरू को मांगनी पड़ी माफी

इस पर मुखर्जी (Dr.Shyama Prasad Mukharjee) ने कहा कि आप आधिकारिक रिकॉर्ड देख लीजिए, मैंने क्या कहा? जब नेहरू ने महसूस किया कि उन्होंने गलती कर दी है तब उन्होंने सदन में खड़े होकर डॉ. मुखर्जी से  माफी मांगी. तब मुखर्जी ने उनसे कहा कि माफी मांगने की जरूरत नहीं है. मैं बस यह कहना चाहता हू कि मैं गलतबयानी नहीं करूंगा. 

अनुच्छेद 370 और कश्मीर में अलग विधान के विरोधी रहे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Dr.Shyama Prasad Mukharjee) की बात करते हुए और उनके निधन पर शोक जताते हुए कई बातें की जाती हैं, लेकिन उनकी जांच को लेकर सही दिशा में कदम उठाए गए, ऐसा कभी सामने नहीं आया. सबसे बड़ा रहस्य उस इंजेक्शन का बना हुआ है जो उन्हें मौत से दो-तीन दिन पहले दिया गया था. 

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इंजेक्शन, जो रहस्य बन गया

दरअसल, कश्मीर में जब उन्हें कैद में रखा गया तो एक महीने से अधिक समय तक उन्हें एक कॉटेज में रखा गया था. इस दौरान मुखर्जी की सेहत लगातार बिगड़ रही थी. उन्हें बुखार था और पीठ में दर्द भी. जांच में पाया गया कि वह प्लूराइटिस से ग्रसित हैं. यह बीमारी उन्हें पहले भी दो बार हो चुकी थी. इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन दिया था. 

मौत की टाइमिंग पर भी सवाल

दावा है कि मुखर्जी (Dr.Shyama Prasad Mukharjee) को इस इंजेक्शन से एलर्जी थी और इस बारे में डॉक्टर को बताया भी गया था, इसके बावजूद उन्हें यह इंजेक्शन दिया गया जो उनके मौत की वजह बन गई. 23 जून की अलसुबह 3:40 बजे दिल के दौरे से मुखर्जी का निधन हो गया.

हालांकि उनके निधन के समय में भी रहस्य है. घोषणा की गई कि 03:40 पर निधन हुआ, लेकिन डॉक्टर ने बताया था कि 02:25 पर ही उनका निधन हो गया था. 

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