पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में क्या फर्क है, कोरोना संकट ने दिखा दिया
कोई भी देश कितना भी सुविधा संपन्न या विपन्न हो. अगर उसका नेतृत्व करने वाला शख्स समझदार हो तो वह किसी भी मुसीबत से जूझ सकता है. लेकिन अगर नेतृत्व में थोड़ी भी कमी हो तो वह संकट में घिर जाता है. अमेरिका और भारत इस बात का प्रत्यक्ष सबूत बन चुके हैं.
नई दिल्ली: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की बेवकूफी पूरे देश को भारी पड़ गई. जबकि पीएम मोदी की समझदारी ने पूरे देश को अभी तक कोरोना से तबाह होने से बचा रखा है.
अमेरिका ने कुछ इस तरह की मूर्खता
20 जनवरी से 22 मार्च, दो महीने का वो वक्त बेहद खास था. जब कोरोना की आहट समझकर भी अमेरिका का ट्रंप प्रशासन बेपरवाह बना रहा और अमेरिकी जनता से कहता रहा कि फिजूल में डरो मत.
हालांकि ये वो वही समय था, जब चीन कोरोना के कहर से बुरी तरह कराह रहा था. वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग, फिजिकल डिस्टेंसिंग से आगे बढ़कर पूरे पूरे वुहान शहर को लॉकडाउन करने का कड़ा फैसला लिया जा रहा था. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को यही लग रहा था कि कोरोना अमेरिका का कुछ बिगाड़ने वाला नहीं है.
अमेरिकी मीडिया भी ट्रंप की हां में हां मिला रहा
ट्रंप सरकार को खुश करने के लिये अमेरिका के कई मीडिया हाउस भी कोरोना के खतरनाक असर को कम करके अमेरिकी जनता को भरमाने में जुटे थे. वे कह रहे थे कि कोरोना का वायरस सामान्य फ्लू जैसा ही है और अमेरिका इसे चुटकी में मसल कर रख देगा.
लापरवाही पड़ी अमेरिका को भारी
समय गवाह है कि जनवरी से मार्च के बीच के सत्तर दिनों में अमेरिका अगर एक्शन में रहता तो उसे ये दिन नहीं देखना पड़ता. ट्रंप सरकार ने कोरोना के खिलाफ इमरजेंसी का एलान 18 मार्च को जाकर किया. लेकिन तब तक कोरोना अमेरिका में पूरी तरह घुसपैठ कर चुका था.
लेकिन पीएम मोदी शुरु से थे सतर्क
लेकिन हमारी खुशकिस्मती ये है कि अमेरिका और चीन की दुर्गति से हिन्दुस्तान ने वक्त रहते सबक ले लिया. 19 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को थाली और शंख बजाकर कोरोना के खिलाफ कमर कसने का आह्वान किया.
अमेरिका में कोरोना इमरजेंसी लगने के हफ्ते भर के अंदर यानी 25 मार्च को रात 12 बजे से पीएम मोदी ने हिन्दुस्तान में 21 दिनों का लॉकडाउन करने का ऐतिहासिक फैसला ले लिया.
भारत की सावधानी नहीं हुई है कम
हिन्दुस्तान कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पूरी मजबूती से कदम आगे बढ़ा रहा. अभी तक के लॉकडाउन के असर का आकलन करने के बाद मोदी सरकार इसे आगे बढ़ाने के मूड में दिख रही है.
राज्य सरकारें भी लॉकडाउन आगे बढ़ाने के पक्ष में है. ताकि कोरोना को अमेरिका की तरह हिन्दुस्तान में तांडव मचाने की छूट न मिल सके.
अमेरिका में हो चुकी है बुरी हालत
अमेरिका में कोरोना से अबतक बाइस हजार से ज्यादा इंसानी मौतें हो चुकी हैं. ये हाल तब है जब अमेरिका ने दुनिया के किसी भी दूसरे देश के मुकाबले सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट किया है. अमेरिका में 12 अप्रैल तक 28 लाख लोगों को कोरोना टेस्ट हो चुका है.
कोरोना टेस्ट की इसी रफ्तार के कारण अमेरिका कोरोना के मरीजो की जल्द से जल्द पहचान कर पा रहा है. नहीं तो वक्त के इसी मोड़ पर अमेरिका में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा और भी भयावह हो सकता था.
ट्रंप खो रहे हैं लोकप्रियता, मोदी लोगों के दिलों में समाए
अमेरिका में इसी साल के आखिर में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. लेकिन कोरोना से निपटने में लापरवाही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारी पड़ती दिख रही है. उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर फायर ट्रंप अभियान भी छेड़ दिया गया है. लेकिन ट्रंप अपनी गलती ईमानदारी से कबूल लेने के बजाय दुनिया भर के बहाने बनाने में जुटे हैं.
ट्रंप अपनी लापरवाही से एक ओर अमेरिकी जनता का भरोसा खो रहे हैं. दूसरी ओर हिन्दस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जनता आंख मूंद कर भरोसा कर रही है और उनके हर फैसले को दिल से अपना रही है. यही वो ताकत है, जो हिन्दुस्तान को कोरोना की महाजंग में जीत दिलाएगी.