Kumbh Mela 2025: 13 जनवरी से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित हो रहे कुंभ मेला को लेकर तैयारियां लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. प्रशासन की ओर से किसी भी अंदेशों से निपटने के लिए फुलप्रूफ तैयारी की गई है.
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Kumbh Mela 2025: 13 जनवरी से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित हो रहे कुंभ मेला को लेकर तैयारियां लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. प्रशासन की कोशिश है कि महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई भी दिक्कत न हो. इसके लिए प्रशासन ने पुरजोर तैयारी की है. प्रशासन की ओर से किसी भी अंदेशों से निपटने के लिए फुलप्रूफ तैयारी की गई है.
इमरजेंसी के लिए ठोस बंदोबस्त
प्रशासन की ओर से करोडों श्रद्धालुओं को किसी भी इमरजेंसी में सुरक्षित रखने के ठोस बंदोबस्त किए गए हैं. इसके लिए ऐप के अलावा अलग-अलग रंगों के क्यूआर कोड मेला में लगाए गए हैं. मेडिकल इमरजेंसी या दूसरी किसी भी आपात स्थिति में लाल रंग के क्यूआर कोड का प्रयोग करना होगा. यह कमांड दिन-रात काम करने वाले कमांड सेंटर से जुड़े रहेंगे.
अलग-अलग भाषा में समस्याओं का होगा समाधान
चूंकि इस महाकुंभ में अलग-अलग राज्य और देश के श्रद्धालु पहुंच रहे हैं ऐसे में उनकी भाषा में बात करना कर्मचारियों के लिए बड़ी चुनौती होगी. लेकिन प्रशासन ने इससे निपटने के लिए कई भाषाओं में बात करने वाले कर्मचारियों को कमांड सेंटर में बैठा रखा है.
खोए हुए व्यक्ति की होगी ट्रैकिंग
इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति खो जाता है तो उसकी ट्रैकिंग भी की जा सकती है. इसके लिए जीपीएस ट्रैकिंग की भी व्यवस्था की गई है. किसी भी हेल्थ इमरजेंसी से निपटने के लिए मेडिकल नेटवर्क तैयार कर लिया गया है.जबकि दूसरी अन्य सेवाओं के लिए अलग-अलग रंगों के क्यूआर कोड मेले में बनाए गए हैं.
किस रंग के क्यूआर से क्या होगा
अगर आप मेले में हैं और ट्रांसपोर्टेशन से संबंधित जानकारी चाहते हैं तो इसके लिए ब्लू क्यूआर कोड का उपयोग करें. वहीं एकोमोडेशन के मेला प्रशासन की ओर से ग्रीन क्यूआर कोड दिया गया है. इसके अलावा पवित्र स्नान से लेकर धार्मिक आयोजनों से संबंधित जानकारियों के लिए येलो क्यूआर कोड का उपयोग किया जा सकेगा.
क्यों लागू किया गया है क्यूआर कोड
क्यूआर के जरिए श्रद्धालुओं तक संबंधित सेवाओं की सीधी पहुंच बनाना है. इसके अलावा इमरजेंसी में तुरंत और प्रभावी निदान पहुंचाने के लिए भी क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया जाएगा. प्रशासन की कोशिश है कि करोड़ों श्रद्धालुओं को रती भर भी मुसीबत का सामना न करना पड़े.