महाकाल की `सीट` पर सियासत क्यों? ओवैसी Vs भाजपा
महाकाल एक्सप्रेस में भगवान शिव के लिए सीट रिजर्व करने के मुद्दे पर राजनीति शुरु हो गई है. AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ विरोध जताया है. जिसके बाद भाजपा ने ओवैसी पर तीखा प्रहार किया है.
नई दिल्ली: काशी महाकाल एक्सप्रेस में भगवान भोलेनाथ की सीट रिजर्व करने के ऐतिहासिक फैसले पर जितनी खुशी भोले के भक्तों को हुई. उतना ही दुख ओवैसी को हुआ. केंद्र सरकार के इस फैसले पर भड़के ओवैसी को संविधान याद आ गया और उन्होंने प्रधानमंत्री को संविधान की प्रस्तावना ट्वीट किया.
रिजर्व सीट पर भगवान, ओवैसी को याद आया संविधान!
आपको बता दें, संविधान की प्रस्तावना में लिखा है. भारत का संविधान देश में सभी धर्मों के साथ एक समान और सभी लोगों के साथ एक समान व्यवहार करने के बारे में बताता है.
'ट्रेन में भगवान की रिजर्व सीट पर भड़के ओवैसी'
ओवैसी की चिढ़ इसलिए है, क्योंकि रेल इतिहास में पहली बार ये फैसला हआ है, कल प्रधानमंत्री ने काशी महाकाल एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई थी, उसकी एक बर्थ B5-64 को भगवान शिव के लिये आरक्षित रखा गया है. ये ट्रेन भगवान शिव के तीन-तीन ज्योतिर्लिंगों ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर और काशी विश्वनाथ को जोड़ने के लिए समर्पित है.
भगवान के लिए सीट रिजर्व करने के खिलाफ ओवैसी ने प्रधानमंत्री को संविधान की प्रस्तावना ट्वीट किया तो, वहीं IRCTC ने सफाई दी है कि ट्रेन में रिजर्व सीट सिर्फ पहली यात्रा के लिए होगी. और इसका उद्देश्य भगवान शिव का आशीर्वाद लेना है.
ट्रेन में भगवान शिव का छोटा सा मंदिर
ट्रेन में एक सीट पर भगवान शिव का छोटा सा मंदिर बनाया गया है. जिससे ट्रेन में भी लोग भगवान शिव के दर्शन कर सकें. ओवैसी को इस वक्त भले संविधान याद आ रहा है. लेकिन खुद ओवैसी और उनकी पार्टी धार्मिक की पहचान धार्मिक राजनीति के लिए है.
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जवाब में आज BJP ने भी ओवैसी पर पलटवार किया. बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि सिर्फ ओवैसी ही नहीं कांग्रेस और TMC भी धर्म की राजनीति करते आए हैं. खास तौर से जब भी मामला हिंदुओं की आस्था से जुड़ा होता है, इन्हें संविधान याद आ जाता है.
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