पहलवानों से धक्का-मुक्की पर भड़के अभिनव बिंद्रा! कर दी ये बड़ी मांग
पहलवानों से धक्का-मुक्की को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. इस बीच अभिनव बिंद्रा ने अपील की है कि खिलाड़ियों को बचाने के लिए तंत्र बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछली रात नींद नहीं आई, मेरे साथी भारतीय पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान की भयानक तस्वीरों से परेशान था.
नई दिल्ली: ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय अभिनव बिंद्रा ने विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के दौरान पुलिस द्वारा धक्का-मुक्की को रोकने के लिए खेल संगठनों में स्वतंत्र सुरक्षा उपाय करने की अपील की है. बिंद्रा ने प्रदर्शनकारी भारतीय पहलवानों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही. दिल्ली पुलिस ने रविवार को पदक विजेता पहलवानों के साथ धक्का-मुक्की की थी और उन्हें हिरासत में लिया था. पुलिस ने जंतर मंतर पर उनके धरना स्थल पर लगे टेंट को भी ध्वस्त कर दिया था.
पहलवानों के साथ धक्का-मुक्की पर बढ़ा विवाद
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पुनिया व साक्षी मलिक और एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता विनेश फोगाट और उनकी बहन संगीता फोगाट को दिल्ली पुलिसकर्मियों द्वारा धक्का-मुक्की की गई, खींचा गया और घसीटा गया, इसके बाद उन्हें दिल्ली के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में ले जाया गया और देर रात तक वहीं रखा गया.
बिंद्रा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, 'पिछली रात नींद नहीं आई, मेरे साथी भारतीय पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान की भयानक तस्वीरों से परेशान था. यह सही समय है कि हम सभी खेल संगठनों में स्वतंत्र सुरक्षा उपाय स्थापित करें.' 2008 में बीजिंग ओलंपिक खेलों में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले बिंद्रा ने कहा, 'हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो उनसे अत्यंत संवेदनशीलता और सम्मान के साथ निपटा जाए. प्रत्येक एथलीट एक सुरक्षित और सशक्त वातावरण का हकदार है.'
प्राथमिकी दर्ज किए जाने पर जताई निराशा
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक, जिन पर कथित तौर पर दंगा करने और सार्वजनिक सेवक को ड्यूटी के निर्वहन में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया है, ने सोमवार को विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के साथ नए संसद भवन की ओर मार्च करते हुए अपने और साथी पहलवानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने पर निराशा जताई.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'दिल्ली पुलिस को लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने वाले बृजभूषण के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में 7 दिन लग गए और शांतिपूर्वक विरोध करने वाले के लिए हमारे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में 7 घंटे भी नहीं लगे. क्या इस देश में तानाशाही शुरू हो गई है? सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ कैसा व्यवहार कर रही है, यह पूरी दुनिया देख रही है.'
(इनपुट- आईएएनएस)
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