नई दिल्ली: P. V. Narasimha Rao Death: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके स्मारक स्थल का मामला गरमाया हुआ है. पूर्व PM मनमोहन सिंह का निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार हुआ, जिसको लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा. अब इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के भाई मनोहर राव का बयान भी सामने आया है. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने राव के लिए दो गज जमीन भी नहीं दी.


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भाई बोले- पार्टी कार्यालय के ताले भी नहीं खोले
पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के भाई मनोहर राव ने कहा- 'कांग्रेस को 20 साल पीछे मुड़कर देखना चाहिए. उन्होंने अपने नेता और पूर्व PM पीवी नरसिम्हा राव को कितना सम्मान दिया? कांग्रेस ने उन्हें दो गज जमीन तक नहीं दी. न ही उनकी एक भी प्रतिमा बनवाई. कांग्रेस शासन में राव को भारत रत्न भी नहीं मिला. कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुई थीं. कांग्रेस ने नरसिम्हा राव के लिए पार्टी कार्यालय के ताले भी नहीं खोले.'


राव शव पड़ा रहा, नहीं खुला दफ्तर का गेट
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का 83 साल की उम्र में 23 दिसंबर, 2004 में निधन हुआ. आमतौर पर जब किसी बड़े नेता का निधन हो जाता है, तब उसका शव पार्टी दफ्तर में रखवाया जाता है. जैसे मनमोहन सिंह का शव कांग्रेस कार्यालय में रखवाया गया. 2004 में राव के परिवार को भी लगा कि राव का शव 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस के दफ्तर में सम्मान सहित रखा जाएगा. यहां तक उनका शव को ले जाया गया, लेकिन कांग्रेस दफ्तर के दरवाजे ही नहीं खुले. सोनिया गांधी कार्यालय के बाहर आईं और उन्होंने राव को वहीं पर श्रद्धांजलि दे दी. 


'अंदर से आदेश नहीं आया'
'हाफ लॉयन: हाउ पी वी नरसिम्हा राव ट्रांसफॉर्म्ड इंडिया' के लेखक विनय सीतापति ने अपनी किताब में लिखा- पूर्व PM नरसिम्हा राव का शव सेना की गाड़ी में था. ये गाड़ी करीब 30 मिनट तक कांग्रेस दफ्तर के बाहर खड़ी रही, लेकिन कार्यालय के दरवाजे नहीं खुले. राव के करीबी ने गेट पर पूछा तो जवाब आया- गेट खुलने का कोई आदेश नहीं आया. केवल एक व्यक्ति ही वह आदेश दे सकता था. उन्होंने आदेश नहीं दिया.


'सोनिया नहीं चाहती थीं दिल्ली में अंतिम संस्कार हो'
सीतापति ने अपनी किताब में बताया कि राव के बेटे प्रभाकरा का मानना था कि हमें ये महसूस हुआ कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नहीं चाहती थीं कि पिता जी का दिल्ली में अंतिम संस्कार हो. फिर राव के शव को हैदराबाद ले जाया गया, यहीं उनका अंतिम संस्कार हुआ. इसमें भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी शामिल हुए, लेकिन मिसेज गांधी नहीं आईं.


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