नई दिल्ली: कोरोना वायरस की एक उम्र होती है. यह शरीर में घुसने के बाद ही एक्टिव होता है. अभी तक इस वायरस का इलाज तलाश नहीं किया जा सका है. इसलिए कोरोना से बचाव ही उपचार है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लोगों से अपील की है कि वह दो सप्ताह यानी 14 दिनों के लिए अनावश्यक आवाजाही से परहेज करें.


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14 दिन का ही एकांत क्यों
कोरोना वायरस(Coronavirus) से बचाव के लिए सेल्फ आइसोलेशन यानी 14 दिन के लिए एकांत में रखने की सलाह दी जा रही है. इस दौरान किसी तरह दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए. 14 दिन का वक्त इसलिए क्योंकि कोरोना वायरस को फैलने का मौका नहीं मिले और वह खुद ही अपनी मौत मर जाए.


कोरोना वायरस(Coronavirus) जब तक यह शरीर के बाहर रहता है यह हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, कोरोना वायरस शरीर से बाहर 9 दिन तक जिंदा रह सकता है, जबकि धातुओं पर तो यह सिर्फ 12 घंटे ही जीवित रह सकता है.


खास बात ये है कि इंसानी त्वचा यानी चमड़ी पर यह सिर्फ 10 मिनट के लिए जी पाता है. स्किन से यह शरीर में घुस भी नहीं सकता, जब तक हम इसे खुद अपने नाक या मुंह तक ना ले जाएं. ऐसे में धातु की किसी भी वस्तु को छूने के बाद अच्छी तरह हाथ धो लेने से बचाव हो सकता है.


कोरोना वायरस(Coronavirus) मोबाइल फोन की स्क्रीन पर 48 घंटे तक जिंदा रहता है. लेकिन मोबाइल के पीछे के प्लास्टिक कवर पर 9 दिन तक जिंदा रह सकता है. कपड़े पर ये वायरस 9 घंटे तक जीवित रहता है. इसलिए कपड़ों को तेज धूप में सुखाना अच्छा समाधान है.


14 दिन का समय वैज्ञानिकों ने इसलिए तय किया है क्योंकि यह अधिकतम समय है. इतने में कोरोना वायरस(Coronavirus)अवश्य मर जाएगा. एकांतवास से कोरोना वायरस को कैसे रोका जा सकता है, ये आप इस ग्राफिक के जरिए भी समझ सकते हैं-


पीएम मोदी ने 'जनता कर्फ्यू' के लिए क्यों कहा
शरीर के बाहर कोरोना वायरस अपनी मौत खुद मर जाता है. लेकिन शरीर में घुसते ही उसे तबाह करने लगता है.


ऐसे में 24 घंटे तक सार्वजनिक आवाजाही बंद रखने से वायरस चक्र में एक ब्रेक साबित होगा. क्योंकि अगर 24 घंटे अगर वायरस को नए इंसानी शरीर नही मिलेंगे तो वातावरण में मौजूद काफी वायरस खुद ही खत्म हो जाएंगे.


हमारी सड़कें, दफ्तरों के दरवाजे, रेलिंग, लिफ्ट आदि स्वतः ही शुद्ध हो जाएंगे. क्योंकि अगर कोई उन्हें छुएगा ही नहीं तो वायरस खुद ही मारे जाएंगे क्योंकि उनका जीवन चक्र खत्म हो चुका होगा.



इसलिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से कहा कि मुझे आपका दो सप्ताह यानी 14 दिन का समय चाहिए.


वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए एकांत का महत्व जानता है भारत
भारत आयुर्वेद का जनक है. यहां सदियों से विषाणुओं और जीवाणुओं(वायरस और बैक्टीरिया) की गतिविधियों पर नजर रखी गई है. इस बात का सबूत ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में हर साल की ये परंपरा है.


प्रत्येक वर्ष रथ यात्रा के ठीक पहले भगवान जगन्नाथ स्वामी बीमार पड़ते हैं. मान्यता के मुताबिक उन्हें बुखार और सर्दी की समस्या आती है. इन परिस्थितियों में उन्हें एकांतवास में रखा जाता है. जिसे परंपरा के मुताबिक 'अनासार' कहा जाता है. इस दौरान भगवान को लिक्विड डायट और जड़ी बूटियों का काढ़ा दिया जाता है.



खास बात ये है कि भगवान का यह Quarantine Period यानी एकांतवास या अनासार पूरे 14 दिनों तक चलता है. भले ही वैज्ञानिकों ने आज वायरस से बचाव के लिए 14 दिन का एकांतवास समय दिया था. लेकिन परंपरा के मुताबिक यह भारत में यह ज्ञान पहले से ही है.


इस तरह से देखें तो वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनो नजरिए से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देशवासियों से एकांतवास का आह्वान बिल्कुल उचित है. 


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