नई दिल्ली. कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को घोषणा की कि पार्टी सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसकी जानकारी मीडिया को दी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष अपॉइंट किया गया है.
#WATCH | Congress general secretary KC Venugopal says "Congress MP Rahul Gandhi has been appointed as the LoP in the Lok Sabha.." pic.twitter.com/llhssszwAV
— ANI (@ANI) June 25, 2024
सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है कि मंगलवार को हुई विपक्ष की बैठक में राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला किया गया है. बता दें कि साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में देश में किसी भी विपक्षी पार्टी को इतनी सीटें नहीं मिली थीं कि उन्हें आधिकारिक रूप से नेता प्रतिपक्ष का पद मिले. हालांकि इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीतकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद पाने की अर्हता पूरी कर ली है.
सोनिया गांधी ने भर्तृहरी महताब को भेजा पत्र
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने पार्टी के इस फैसले के बारे में सूचित करते हुए लोकसभा के ‘प्रोटेम स्पीकर’ (अस्थायी अध्यक्ष) भर्तृहरि महताब को पत्र भेजा है. राहुल गांधी इस बार उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने मंगलवार को लोकसभा सदस्यता की शपथ ली. राहुल रायबरेली के अलावा केरल की वायनाड लोकसभा सीट से भी चुनाव जीते हैं. हालांकि उन्होंने वायनाड सीट छोड़ने का फैसला कर लिया है. अब वायनाड सीट से राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पार्टी प्रत्याशी होंगी.
स्पीकर पद को लेकर 'लड़ाई' तेज
इस बीच लोकसभा में स्पीकर पद को लेकर भी गहमागहमी तेज हो गई है. सत्ताधारी गठबंधन यानी एनडीए ने एक बार फिर ओम बिड़ला को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया की तरफ से के. सुरेश को स्पीकर पद का प्रत्याशी बनाया गया है. इस बीच एनसीपी (SP) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उन्होंने ‘इंडिया’ गठबंधन में अपने सहयोगियों को सलाह दी है कि लोकसभा अध्यक्ष निर्विरोध चुना जाना चाहिए, लेकिन संसदीय परंपरा के अनुसार विपक्ष को उपाध्यक्ष का पद अवश्य मिले.
पवार ने मीडिया से कहा कि परंपरागत रूप से लोकसभा अध्यक्ष का पद सत्तारूढ़ दल को और उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) का पद विपक्ष को मिलता है, लेकिन नरेंद्र मोदी नीत सरकार के पिछले 10 वर्षों में ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा-संसद में गैर-बीजेपी नेताओं ने मेरी राय मांगी और मैंने उन्हें सलाह दी कि वे सरकार से कहें कि हम अध्यक्ष निर्विरोध चुने जाने पर सहमत हैं. साथ ही, उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए.
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