नई दिल्ली. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और रायबरेली से पार्टी सांसद राहुल गांधी 18वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए हैं. इंडिया गठबंधन से जुड़े विपक्षी दलों ने राहुल गांधी को अपनी समर्थन दिया है. राहुल ने नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारियों और भूमिका से संबंधित एक वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर जारी किया. उन्होंने वीडियो में कहा-देश की जनता, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और INDIA के सहयोगियों का मुझपर भरोसा जताने के लिए दिल से धन्यवाद. विपक्ष का नेता सिर्फ एक पद नहीं है- यह आपकी आवाज़ बन कर आपके हितों और अधिकारों की लड़ाई लड़ने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. हमारा संविधान गरीबों, वंचितों, अल्पसंख्यकों, किसानों, मजदूरों का सबसे बड़ा हथियार है और हम उस पर किए गए हर हमले का पूरी ताकत से जवाब देकर उसकी रक्षा करेंगे. मैं आपका हूं और आपके लिए ही हूं.



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इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल गांधी को सदन में नेता प्रतिपक्ष के रूप में आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी. लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है. राहुल का नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नौ जून, 2024 से प्रभावी रहेगा. कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने मंगलवार को लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र भेज कर कांग्रेस के इस फैसले के बारे में उन्हें अवगत कराया था कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष होंगे. बिरला बुधवार को ध्वनिमत से लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित हुए. वह लगातार दूसरी बार यह उत्तरदायित्व संभाल रहे हैं.


ओम बिरला के स्पीकर बनने पर क्या बोले राहुल
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ओम बिरला को बधाई दी और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह विपक्ष को बोलने का मौका देकर संविधान की रक्षा का अपना दायित्व निभाएंगे. कांग्रेस नेता ने कहा-मैं आपके दूसरी बार अध्यक्ष चुने जाने पर आपको बधाई देना चाहता हूं. मैं पूरे विपक्ष की ओर से, ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से आपको बधाई देना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, यह सदन भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है और आप उस आवाज के संरक्षक हैं. निस्संदेह, सरकार के पास राजनीतिक शक्ति है लेकिन विपक्ष भी भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है.


राहुल ने कहा-विपक्ष सदन चलाने में पूरा सहयोग करेगा, लेकिन यह भी जरूरी है कि विपक्ष को सदन के अंदर लोगों की आवाज उठाने का मौका मिले. सहयोग विश्वास के आधार पर होना चाहिए और विपक्ष की आवाज को सदन में उठाए जाने की अनुमति दी जानी चाहिए. सवाल यह नहीं है कि सदन कितनी कुशलता से चल रहा है, सवाल यह है कि सदन में भारत की कितनी आवाज सुनी जा रही है. इसलिए यह विचार कि आप विपक्ष की आवाज को बंद करके सदन को कुशलतापूर्वक चला सकते हैं, गैर-लोकतांत्रिक है.


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