नई दिल्ली: OBC आरक्षण संशोधन बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया. इस 127वें संविधान संशोधन बिल को लोकसभा में 2 तिहाई बहुमत से मंजूर किया गया था, जिसके बाद बुधवार को इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया.


OBC आरक्षण संशोधन बिल पास


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अब इस विधेयक (OBC आरक्षण संशोधन बिल) को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये कानून का रूप ले लेगा. पहले से ही ये माना जा रहा था कि इस बिल में कोई रोड़ा अटकाया जाएगा. ऐसी कोई वजह नहीं दिखती कि राज्यसभा में ये बिल अटके और ऐसा ही हुआ. उच्च सदन में भी इसे मंजूरी दे दी गई.


दरअसल, सवाल वोट बैंक का है तो सभी पार्टियां इसके समर्थन में हैं. लेकिन इस संशोधन बिल के साथ अब आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. कांग्रेस, टीएमसी, बीएसपी और यहां तक की AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी मैदान में हैं. ओवैसी ने ये भी आरोप लगाया कि इस बिल को मोदी सरकार शाहबानो की तर्ज पर लाई है. मुसलमानों को आरक्षण नहीं सिर्फ खजूर मिलेगा.


मंगलवार को लोकसभा में हुआ पास


लोकसभा में मंगलवार को बहुमत से ये बिल मंजूर किया जा चुका है. इस बिल के पक्ष में 385 वोट पड़े जबकि इस बिल का विरोध किसी ने नहीं किया. वोटों का गणित ही कुछ ऐसा है कि संसद में सियासी दलों का ओबीसी बिल के आगे पस्त हो गया. चर्चा भी हुई और बिल लोकसभा में 2 तिहाई बहुमत से पास भी कर दिया है. अब राज्यसभा से भी बिल का रास्ता क्लीयर हो गया है.


ओबीसी आरक्षण संशोधन बिल पास होने के बाद बेशक राज्य सरकारें नई जातियों को OBC लिस्ट में शामिल कर सकेंगी, लेकिन इससे वहां पहले से ही मौजूद जातियों की नाराजगी बढ़ सकती है. क्योंकि अभी आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तय है और OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण ही मिल सकता है. और इस समय केंद्रीय सूची में ओबीसी के अंदर 2700 जातियां मौजूद हैं. जिसमें से सिर्फ 1000 जातियों को ही आरक्षण का फायदा मिलता है.


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