किसानों के लिए `भस्मासुर` बन गए हैं राकेश टिकैत
क्या सचमुच राकेश टिकैत किसान हैं या भड़काऊ किरदार? किसानों को मोहरा बनाकर अपनी दुकान चलाने वाले राकेश टिकैत अन्नदाताओं के लिए `भस्मासुर` बनते जा रहे हैं. जनाब को आग लगाने में बड़ा मजा आता है.
वो किसानों से कहते हैं कि तुम फसल में आग लगा दो, वो अन्नदाताओं कहते हैं हम दाने-दाने के तरसा देंगे. अब भला एक मां अपने जिगर के टुकड़े को सूली पर चढ़ा सकती है? क्या कोई पिता अपने 'लाल' को आग की लपटों पर झोंक सकता है? राकेश टिकैत किसान नहीं हैं, वो तो 'ठेकेदार' हैं. ये सच अब दुनिया के सामने आ रहा है.
टिकैत की करतूतों पर लानत है!
अगर राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को धमकियों के सरदार और किसानों को बरगलाने वाले गुट के मुखिया की उपाधि दी जाए तो शायद कम होगी. टिकैत साहब ने सरकार को फसल में आग लगाने की धमकी दी. टिकैत को शर्म नहीं आती क्या? या फिर वो बेशर्म हो चुके हैं?
राकेश टिकैत नाम के इस भड़काऊ मास्टर ने ये तक कह दिया कि 'सरकार ने दवाब बनाया तो फसल को आग लगा देंगे. केन्द्र सरकार गलतफहमी में ना रहे. अगली बार कृषि औजारों के साथ दिल्ली कूच करेंगे.'
टिकैत को क्या फर्क पड़ता है?
अब किसान अपनी फसल जलाएगा तो उससे राकेश टिकैत पर क्या ही फर्क पड़ जाएगा, वो जनाब तो करोड़पति हैं. अगर आपको 'भड़काऊ बाबा' राकेश टिकैत के करोड़ों के साम्राज्य की जानकारी नहीं है, तो हम बता देते हैं.
देश के 13 शहरों में संपत्ति
सूत्रों के मुताबिक राकेश टिकैत का आर्थिक साम्राज्य 4 राज्य और 13 शहरों में फैला है. मुजफ्फरनगर, ललितपुर, झांसी, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, बदायूं, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, देहरादून, रूड़की, हरिद्वार, मुंबई में उनकी संपत्ति है.
दिल्ली से 130 किलोमीटर दूर मुजफ्फरनगर का सिसौली गांव राकेश टिकैत का गांव है. कभी पांच-छह बीघा जमीन के मालिक रहे टिकैत परिवार के पास सिसौली में 110 बीघा खेती की जमीन है. सर्कल रेट के हिसाब से जिसकी कीमत है 4 करोड़ रुपये. इन 110 बीघा जमीन में कुछ राकेश टिकैत के नाम पर हैं, कुछ परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर और कुछ बेनामी यानी दूसरों के नाम पर है.
राकेश टिकैत की खेतों से होने वाली आमदनी भी लाखों में है. इनके खेतों के गन्ने सिसौली के इसी शुगर मिल में आते हैं. राकेश टिकैत अभी दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर को बंधक बनाये हुए हैं, लेकिन उनका गन्ना लगातार चीनी मिल पहुंच रहा है.
बीते 28 नवंबर से अब तक 25 से ज्यादा बार उनका गन्ना चीनी मिल में पहुंच चुका है. अगर आंकड़ों को समझें तो करीब 2 हजार दो सौ पचास क्विंटल गन्ना चीनी मिल पहुंच चुका है. यानी टिकैत अगर धरना दे रहे हैं तो भी उनका कारोबार चल रहा है. मगर वही टिकैत किसानों को अपनी फसल जलाने की नसीहत दे रहे हैं, शर्म नहीं आती?
सिसौली गांव से अलग राकेश टिकैत की संपत्तियों पर गौर करें तो, उन्होंने हरिद्वार के इकबालपुर गांव में सुगर मिल के पास 75 बीघा बेनामी जमीन खरीदी. सर्कल रेट के मुताबिक इसकी कीमत है साढे 13 करोड़ रुपये है. टिकैत परिवार ने उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में भी बेनामी जमीन में निवेश किया हुआ है.
गौतमबुद्ध नगर जिले में जेवर एयरपोर्ट के पास 7 बीघा जमीन है जो राकेश टिकैत के रिश्तेदारों के नाम पर है. सूत्रों के अनुसार, राकेश टिकैत के पास झांसी, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, बदायूं में भी जमीन है. ये जमीन उनके रिश्तेदारों के नाम पर है.
राकेश टिकैत के पास पेट्रोल पंप, शोरूम, ईंट-भट्टे और अन्य कारोबार भी हैं. हम ये नहीं कहते कि राकेश टिकैत की ये संपत्ति गैरकानूनी है. ये संपत्ति उनकी मेहनत की कमाई भी हो सकती है. मगर, जनाब किसानों को अपनी फसल जलाने की नसीहत क्यों देते हैं? क्या वो किसानों के 'भस्मासुर' हैं?
फर्जी किसानों की 'जहरीली जुबान'
टिकैत तो टिकैत, उनके संगी साथी भी अब ये कहने लगे हैं कि दिल्ली पुलिस को बंधक बना लेंगे, देश की राजधानी के पूरे सिस्टम को बंधक बना लेंगे. किसान आंदोलन में यूं तो कई नेता हैं, समझना मुश्किल है कि लीड कौन कर रहा है? मगर अब नेतृत्व के नाम पर भड़काऊ बयानबाजी की होड़ लग गई है.
किसानों के लिए 'भस्मासुर' हैं टिकैत!
देश के किसानों को राकेश टिकैत नाम के 'भड़काऊ बाबा' अपनी फसल जलाने के लिए उकसा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि टिकैत किसानों के लिए भस्मासुर बनते जा रहे हैं. वो संवाद से समाधान में यकीन नहीं करते हैं, तभी तो आग लगाने की बात करते हैं. क्या उन्हें शर्म नहीं आती?
किसानों के नाम पर हो रहे आंदोलन में कौन कितना आग लगाऊ बयान दे सकता है, अब इसका नशा ऐसा चढ़ा है कि किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी इसमें टिकैत से प्रतियोगिता करते दिख रहे हैं.
टिकैत ने फसल में आग लगाने को उकसाया था, तो आज गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पुलिस को बंधक बनाने तक की धमकी दे डाली. नेतृत्व के नाम पर ये आंदोलन को आखिर किस दिशा में ले जा रहे हैं?
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पूरा देश हैरान है, पहले असली किसानों ने टिकैत के बयान पर लानत भेजी, लेकिन बजाए संभलने के दूसरे उद्धारकर्ता बने गुरनाम सिंह चढ़ूनी दो कदम और आगे बढ़ गए. छोटे किसानों की बलि चढ़ाने पर तुले किसान नेता राकेश टिकैत को ये समझ लेना चाहिए कि उनकी ये दुकान और ज्यादा दिन नहीं चलने वाली है. 'भस्मासुर' शर्म करो..!
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