दिल्ली दंगे की सबसे भयानक कहानी, एसीपी अनुज की जुबानी
एसीपी ने अपनी जुबानी में बताया, 24 तारीख की सुबह साढ़े 11 बजे और 12 बजे के आसपास की बात है. मेरी और रतन और बाकी कर्मचारियों की ड्यूटी चांदबाग मजार से 80 सौ मीटर आगे थे. 23 को वहां पर वजीराबाद रोड को जाम किया था, जिसे देर रात को खुलवाया गया था. उस रास्ते को क्लियर करने के निर्देश मिले थे.
नई दिल्लीः दिल्ली हिंसा की अब तक कई कहानियां सामने आ चुकी हैं. दिल दहला देने वाली और भीतर तक झकझोर देने वाली इन आप बीती और आंखों-देखी हाल में आईबी कर्मी की हत्या जहां रोंगटे खड़ी करने वाली है तो वहीं मृत पुलिसकर्मी रतनलाल के परिवार की वेदना रूह को कंपाने वाली है. आप बीतियों की इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ रहा है एसीपी अनुज कुमार का. हिंसा में खुद घायल हो गए एसीपी को अब होश आ चुका है और शनिवार को उन्होंने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने ब्योरेवार वह सब कुछ बताया जो उस दिन घटा और एक पुलिसकर्मी के लिए काल बन गया.
चांदबाग मजार के पास से तैनाती
एसीपी ने अपनी जुबानी में बताया, 24 तारीख की सुबह साढ़े 11 बजे और 12 बजे के आसपास की बात है. मेरी और रतन और बाकी कर्मचारियों की ड्यूटी चांदबाग मजार से 80 सौ मीटर आगे थे. 23 को वहां पर वजीराबाद रोड को जाम किया था, जिसे देर रात को खुलवाया गया था. उस रास्ते को क्लियर करने के निर्देश मिले थे.
हिंसा में खुद घायल हुए एसीपी गोकुलपुरी ने कहा कि उस दिन डीसीपी अमित शर्मा भी उन्हीं के सामने जख्मी हुए थे. हिंसा में शहीद हुए हेड कांस्टेबल रतन लाल भी उन्हीं के साथ थे.
बच्चों के मरने की अफवाह से भड़की हिंसा
अनुज कुमार की मानें तो प्रदर्शन कर रहे लोग सर्विस लेन से सड़क पर आ गए थे. फिर एक अफवाह फैली कि पुलिस की गोलियों से बच्चे मर गए हैं. इसने हिंसा को वहां भड़का दिया. उस दिन धीरे-धीरे काफी लोग जमा हो गए थे. महिलाएं आगे ही थीं. वजीराबाद रोड के पास वे आने लगे. हमने उन्हें समझाया. वे लगातार आगे बढ़ते रहे. सर्विस रोड की तरीफ हमने उन्हें पीछे करने की कोशिश की. आदेश था कि जो प्रदर्शन है वो सर्विस रोड तक सीमित रहे.
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डीसीपी गंभीर जख्मी हो गए
पुलिस ने फायरिंग की और इसमें बच्चे मारे गए हैं इस अफवाह से भीड़ और जमा हो गई. 15 और 20 मीटर का फासला था. फिर पत्थरबाजी शुरू हो गई. वहां काम चल रहा था, तो बहुत पत्थर थे. जैसे ही पत्थरबाजी शुरू हुई लोग हावी होते चले गए. हम आंसू गैस भी नहीं छोड़ पाए. उसी अफरातफरी में डीसीपी को देखा तो डिवाइडर के पास पड़े थे. उनके मुंह से खून बह रहा था. अनुज कुमार ने बताया कि उन्हें यमुना विहार की तरफ जाना पड़ा. चांदबाग मजार के आसपास बहुत भीड़ थी. वहां अगर सीधे जाते तो मार दिए जाते.
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डीसीपी सर के मुंह से खून बह रहा थाः एसीपी
पत्थरबाजी शुरू होने के बाद ही वह डीसीपी अमित शर्मा को खोज रहे थे. उन्हें देखा तो बेहद धक्का लगा. उनके मुंह से खून आ रहा था, उन्हें देखकर हम भी होश खो बैठे. फिर हम डीसीपी सर को लेकर यमुना विहार की तरफ भागे. इस समय तक भीड़ काफी हिंसक हो चुकी थी. अस्पताल आते-आते सर की हालत गंभीर थी. मैं खुद भी घायल था.