नई दिल्ली: किसान आंदोलन के नाम पर शुरु से विपक्ष के लोग राजनीति कर रहे हैं. दिल्ली में असली किसानों ने सियासत चमकाने वाले नेताओं को कड़ा सबक सिखाया है. कृषि कानून के विरोध में आंदोलन को सियासी रूप देने के लिये जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुछ वामपंथी छात्र किसान बनकर उनके आंदोलन का लाभ लेने पहुंचे थे लेकिन इन किसानों ने उन्हें उल्टे पैर भागने को विवश कर दिया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वामपंथी छात्रों ने शुरु कर दी थी नारेबाजी


आपको बता दें कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन के समर्थन में बृहस्पतिवार को जेएनयू के 25-30 वामपंथी छात्र-छात्राएं अचानक मुनिरका गांव पहुंच गए और ढपली बजाकर, नारे लगाकर लोगों को कृषि कानून विरोधी आंदोलन का समर्थन करने की अपील करने लगे. इन लोगों की मंशा साफ थी कि किसी तरह से किसान आंदोलन के बहाने माहौल खराब किया जा सके. हालांकि किसानों ने उनके मंसूबे भांप लिये और उन्हें वहां से भगा दिया.


ये भी पढ़ें- 5 गेंद पर 5 छक्के जड़ने वाला खिलाड़ी इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज से बाहर


बिना अनुमति आंदोलन में घुसने की कोशिश


जेएनयू के वामपंथी छात्र बिना अनुमति किसानों की प्रदर्शन में शामिल हो रहे थे लेकिन जब किसानों ने उनसे पुलिस का अनुमति पत्र मांग तो वे आनाकानी करने लगे. इससे आस पास के लोगों ने उन्हें वापस कैंपस जाने को कहा. मुनिरका गांव के लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लेफ्ट छात्रों ने वहां से वापस जाना ही बेहतर समझा. गांव के लोग इन्हें जेएनयू के गेट तक छोड़कर आए और गांव वाले तभी वापस लौटे जब सभी वामपंथी छात्र कैंपस के अंदर चले गए. 


उल्लेखनीय है कि दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों के कई समूह कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. इस आंदोलन में कई बार राजनेताओं ने एंट्री करने की कोशिश की और मोदी सरकार के खिलाफ अपने राजनीति एजेंडे को साधने का प्रयास किया. 26 जनवरी को लालकिले पर कुछ दंगाइयों ने तिरंगे का अपमान किया और बेकाबू होकर लाल किले पर चढ़ गये थे.  


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.