Shakti Mills Gangrape: क्यों फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला, HC ने बताई वजह
कोर्ट ने कहा कि दोषी पैरोल या फरलो के हकदार नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें समाज में आत्मसात होने की अनुमति नहीं दी जा सकती .
मुंबईः मुंबई के चर्चित शक्ति मिल गैंगरेप केस में गुरुवार को एक नया मोड़ सामने आया है. मुंबई हाईकोर्ट ने तीनों दोषियों की सजा बदल दी है. हाईकोर्ट ने तीनों दोषियों की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया है. ये चर्चित मामला 2013 का है. शक्ति मिल में एक 22 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट और एक टेलीफोन ऑपरेटर से गैंगरेप के मामले में पहले तीन आरोपी को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने इन तीनों दोषियों की सज़ा बदलकर उम्रकैद में कर दी है.
राज्य सरकार की याचिका पर फैसला
बता दें कि फांसी की सजा की मंजूरी के लिए राज्य सरकार की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है.मुंबई सेशन कोर्ट ने 4 अप्रैल 2014 को फांसी की सजा सुनाई थी.तीनों दोषियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया था, जहां कोर्ट ने अपना ये फैसला सुनाया.
कोर्ट ने की अहम टिप्पणी
सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदलने को लेकर अपने फैसले के संदर्भ में हाईकोर्ट ने कहा कि इन आरोपियों के लिए उम्रकैद ही सही सजा है ताकि ये पूरी उम्र अपने इस जघन्य अपराध के लिए पश्चाताप कर सकें, क्योंकि फांसी इस पश्चाताप की अवधारणा को समाप्त कर देती है. इसलिए उम्रकैद की सजा ही मुफीद है ताकि जीवनभर ये अपने किए पर पछता सकें.
कोर्ट ने कहा कि वह इस बात से इनकार नहीं कर सकती कि इस अपराध ने समाज की सामूहिक अंतरात्मा को झकझोर दिया और बलात्कार मानवाधिकारों का उल्लंघन है. उसने कहा कि मामलों पर निष्पक्षता से विचार करना अदालतों का कर्तव्य है और वे कानून के तहत तय की गई प्रक्रिया को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं. पीठ ने कहा, ‘‘मृत्यु पश्चाताप की अवधारणा को समाप्त कर देती है. यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपियों को केवल मौत की सजा ही दी जानी चाहिए.
नहीं मिल सकेगी पैरोल
कोर्ट ने कहा कि दोषी पैरोल या फरलो के हकदार नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें समाज में आत्मसात होने की अनुमति नहीं दी जा सकती और सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है. बता दें कि निचली अदालत ने 22 अगस्त, 2013 को बंद पड़े शक्ति मिल्स परिसर में फोटो पत्रकार के साथ सामूहिक बलात्कार किए जाने के मामले में मार्च, 2014 में चार लोगों को दोषी ठहराया था.
अदालत ने जाधव, बंगाली और अंसारी को मौत की सजा सुनाई थी, क्योंकि इन तीनों को फोटो पत्रकार के साथ बलात्कार से कुछ महीनों पहले इसी स्थान पर 19 वर्षीय एक टेलीफोन ऑपरेटर के सामूहिक बलात्कार के मामले में भी दोषी ठहराया गया था.
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शक्ति मिल गैंगरेप केस में अबतक
22 अगस्त 2013
महिला फोटोजर्नलिस्ट के साथ शक्ति मिल कंपाउंड में गैंग रैप.
23 अगस्त 2013
मामले में पहली गिरफ्तारी.
एक नाबालिग आरोपी गिरफ्तार.
24 अगस्त 2013
दूसरा आरोपी, विजय जाधव गिरफ्तार.
24 अगस्त 2013
कुछ घंटों बाद, तीसरा आरोपी सिराज रहमान गिरफ्तार.
25 अगस्त 2013
चौथे आरोपी कासिम बंगाली की गिरफ्तारी.
25 अगस्त 2013
पांचवा और मुख्य साजिशकर्ता मो. सलीम अंसारी गिरफ्तार.
26 अगस्त 2013
पीड़ित फोटो जर्नलिस्ट का बयान दर्ज किया गया.
27 अगस्त 2013
पीड़ित को अस्पताल से छुट्टी मिली.
3 सितंबर 2013
एक और पीड़िता सामने आई
19 साल की टेलीफोन ऑपरेटर ने शिकायत दर्ज करायी
31 जुलाई को उसके साथ पांच लोगों ने गैंगरेप किया
जिसमें पहले से गिरफ्तार तीन आरोपी शामिल थे.
4 सितंबर 2013
पीड़ित लड़की ने आइडेंटिफिकेशन परेड में आरोपियों की पहचाना.
19 सितंबर 2013
मुंबई क्राइम ब्रांच ने 600 पन्ने की चार्जशीट दायर की
14 अक्टूबर 2013
ट्रायल की शुरुआत हुई.
17 अक्टूबर 2013
पीड़िता ने अदालत में आरोपियों की पहचान की.
13 जनवरी 2014
पीड़िता के सहयोगी और चश्मदीद गवाह ने भी आरोपियों को पहचान की.
20 मार्च 2014
मुंबई सेशंस कोर्ट ने सभी चारों आरोपियों को दोषी पाया.
4 अप्रैल 2014
तीन रिपीट ऑफेंडर्स को फांसी की सजा.
एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
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