देश का नया स्वदेशी हथियार सोलर गन, जानें क्या है खासियत और ताकत
एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज मेरठ के आईडिया इनोवेशन लैब में सोलर गन को तैयार किया गया है.
मेरठ: हमारे जवानों की मदद के लिए जल्द देश की सीमा पर एक शक्तिशाली हथियार तैनात होगा. यह हथियार है सोलर गन. यह एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन गन है. इसे संचालित करने के लिए किसी इंसान की जरुरत नहीं होगी.
यूं दुश्मन पर रखेगी नजर और करेगी फॉयर
सोलर गन में लगे सेंसर कैमरे दुश्मनों पर दूर से नजर रख सकते हैं. आस-पास किसी तरह की आहट होने पर यह मानव रहित गन जवानों को चौकन्ना करने के साथ खुद निर्णय लेकर दुश्मनों पर गोलियों की बौछार भी करने में सक्षम होगा.
यह गन सोलर पैनल से चार्ज होता है और कई महीने धूप न मिलने पर भी यह काम कर सकता है.
आईडिया इनोवेशन लैब में है बनी
एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज मेरठ के आईडिया इनोवेशन लैब में सोलर गन को तैयार किया गया है. इसकी मदद से आतंकियों से आमने-सामने की लड़ाई में हमारे जवानों की जान माल का नुकसान नहीं होगा.
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अभी प्रोटोटाइप है यह गन
इस गन को बनाने वाले युवा वैज्ञानिक श्याम चौरसिया ने बताया कि यह अभी प्रोटोटाइप बनाया गया है. इसकी मारक क्षमता तकरीबन 500 मीटर तक होगी, जिसे और बढ़ाया भी जा सकता है. इस मानव रहित गन को ऑटोमेटिक और मैनुअल भी कर सकते हैं.
ऑटोमेटिक करने पर इसे संचालित करने की जरुरत नहीं पड़ती. वहीं मैनुअल मोड पर इसे इंटरनेट या रिमोट से हमारे जवान संचालित कर सकेंगे.
गन के हैं तीन हिस्से, यूं करते हैं काम
उपकरण के तीन पार्ट हैं. यह तीनों वायरलेस तकनीक की मदद से एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं. जैसे ही कोई बॉर्डर पार करने की कोशिश करता है या इनके सेंसर के रेंज में कोई हलचल होती है, तो ये सोलर गन को एक अलर्ट भेजता है. इससे उस बॉर्डर एरिया में लगी मशीन गन एक्टिवेट हो जाती है और टार्गेट पर गोलियां दागनी शुरू कर देती है.
बेगुनाहों पर नहीं चलेगी गोली
वैज्ञानिक श्याम चौरसिया के मुताबिक इस मानव रहित मशीन गन से बॉर्डर एरिया में किसी जानवर या बेगुनाह की जान को नुकसान न पहुंचे इसके लिए यह गन गोलियाँ दागने से पहले कंट्रोल रूम को टार्गेट का फोटो भेज देता है ताकि किसी बेगुनाह की जान न जाये.
कॉलेज के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर में इस उपकरण का प्रोटोटाईप तैयार करते वक्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि गन के पास अगर कोई अपना सैनिक गलती से आ जाये तो ये खुद को लॉक कर लेता है.
बस इतनी है कीमत
श्याम ने बताया कि इस उपकरण का प्रथम प्रोटोटाईप बनाने में लगभग 25000 रुपये का खर्च आया है. ये उपकरण 360 डिग्री में घूम कर दुश्मनों को टार्गेट कर सकेगा. इसका वजन प्रोटोटाईप में 40 किलो है. इस उपकरण को बनाने में लॉन्ग रेंज का मोशन सेंसर कैमरा, सेंसर ट्रिगर, मेटल पाईप, ट्रांसमीटर रिसिवर, नाईट विजन सेंसर, 12 वोल्ट सोलर प्लेट, जीएसएम अलार्म, 6 वोल्ट बैटरी का उपयोग हुआ है.
एमआईईटी के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल ने बताया कि कॉलेज में आईडिया इनोवेशन रिसर्च लैब है, जिसमें हमारे छात्र इनोवेटर के साथ मिल कर देश की तरह-तरह के समस्याओं को अपने नये-नये अविष्कार के जरिये हल करते हैं.
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