JEE-NEET पर सुब्रमण्यम स्वामी की महाभारत, छात्रों को द्रौपदी और खुद को बताया विदुर
देश में कोरोना वायरस संक्रमण का डर दिखाकर कई नेता छात्रों को परीक्षा देने से रोक रहे हैं. नीट और JEE परीक्षा अगले महीने सितंबर में होनी हैं लेकिन नेता इस मुद्दे पर अनवरत राजनीति कर रहे हैं.
नई दिल्ली: अगले महीने सितंबर में JEE और NEET की परीक्षाएं होनी तय हैं. NTA की तरफ से साफ साफ कह दिया गया है कि ये परीक्षायें किसी भी हाल में स्थगित नहीं होंगी. दूसरी तरफ कांग्रेस की तरह भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने इसे महाभारत से जोड़ दिया और कहा कि इस समय छात्रों की स्थिति महाभारत की द्रौपदी की तरह है और मैं विदुर की तरह सबकुछ देख रहा हूं लेकिन गलत को रोक नहि पा रहा हूं. स्वामी ने ट्वीट में लिखा है कि अगर राज्यों के मुख्यमंत्री चाहें तो वे श्रीकृष्ण की भूमिका निभा सकते हैं.
NEET और JEE परीक्षा स्थगित करने की मांग कर रहे हैं स्वामी
सुब्रमण्यम स्वामी लंबे समय से कोरोना संक्रमण को देखते हुए ये परीक्षाएं स्थगित करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कई बार केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्री से ये अनुरोध किया है लेकिन उनकी बात मानने वाली नहीं है. सरकार छात्रों का एक साल बर्बाद नहि करना चाहती है.
ट्विटर पर भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने लिखा कि आज NEET और JEE परीक्षा के मामले में, क्या छात्रों को द्रौपदी जैसे अपमानित किया जा रहा है? सीएम कृष्ण की भूमिका निभा सकते हैं. एक छात्र के रूप में और फिर 60 वर्षों तक प्रोफेसर के रूप में मेरे अनुभव बताते है कि कुछ गलत होने वाला है. मुझे विदुर जैसा लगता है.
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कई राजनीतिक दल भी कर रहे छात्रों के मुद्दे पर राजनीति
गौरतलब है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को NEET और JEE परीक्षा को लेकर 7 गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई, जिसमें फैसला लिया गया कि वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. NEET की परीक्षा 13 सितंबर को होनी है.
आपको बता दें कि भारत और विदेश के 150 से ज्यादा शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा जेईई मेंस और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा नीट (NEET 2020) को और टालने का मतलब छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा क्योंकि इससे उनका एक कीमती साल बर्बाद हो जाएगा.