सिर्फ एक शब्द कहकर सूरत कोर्ट के जज ने खारिज कर दी राहुल गांधी की मानहानि मामले में सजा के खिलाफ याचिका
गुजरात में सूरत की एक सत्र अदालत ने गुरुवार को ‘मोदी उपनाम’ वाले बयान को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेशन कोर्ट जज आरपी मोगेरा गुरुवार को कोर्ट रूम में आए और फैसला सुनाते हुए उन्होंने सिर्फ एक शब्द कहा- डिसमिस यानी खारिज.
नई दिल्लीः गुजरात में सूरत की एक सत्र अदालत ने गुरुवार को ‘मोदी उपनाम’ वाले बयान को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेशन कोर्ट जज आरपी मोगेरा गुरुवार को कोर्ट रूम में आए और फैसला सुनाते हुए उन्होंने सिर्फ एक शब्द कहा- डिसमिस यानी खारिज.
इससे पहले बृहस्पतिवार को राहुल गांधी की याचिका पर कोर्ट का फैसला आना था. अगर दोषी ठहराये जाने और सजा सुनाये जाने के फैसले पर रोक लगती तो राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता बहाल हो सकती थी. अब राहुल गांधी इस मामले में हाई कोर्ट जा सकते हैं.
बीते गुरुवार को सुरक्षित रखा गया था फैसला
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर. पी. मोगेरा की अदालत ने गत बृहस्पतिवार को राहुल गांधी के आवेदन पर फैसला 20 अप्रैल तक सुरक्षित रख लिया था. राहुल को आपराधिक मानहानि के इस मामले में दो साल के कारावास की सजा सुनाये जाने के एक निचली अदालत के फैसले के खिलाफ राहुल की अपील लंबित रहने के बीच फैसला सुरक्षित रखा गया था.
केरल के वायनाड से सांसद बने थे राहुल गांधी
राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से सांसद बने थे. गत 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिया था और दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी जिसके एक दिन बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया.
3 अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया था
राहुल ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तीन अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया था. उनके वकीलों ने दो आवेदन भी दाखिल किये जिनमें एक सजा पर रोक के लिए और दूसरा अपील के निस्तारण तक दोषी ठहराये जाने पर स्थगन के लिए था.
अदालत ने राहुल को जमानत देते हुए शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये थे. उसने पिछले बृहस्पतिवार को दोनों पक्षों को सुना और फैसला 20 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित रख लिया था.
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