नई दिल्ली. देश में नागरिकता संशोधन क़ानून 2019 के विरोध में प्रदर्शन करने वाले लोगों को जान लेना चाहिए कि भारतीय नागरिकता की योग्यता क्या निर्धारित की गई है. गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक मार्गदर्शिका जारी की है.


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वर्ष 1987 के जुलाई महीने से पहले की तारीख है अहम


गृह मंत्रालय ने भारतीय नागरिकता के लिए पहचान की कट ऑफ़ डेट निर्धारित कर दी है. भारतीय नागरिकता संशोधन क़ानून 2019 के लिए यह तारीख बहुत अहम है क्योंकि इस तारीख के पहले के सभी वे नागरिक जो भारत में जन्मे हैं, भारतीय नागरिकता पाने के अधिकारी होंगे. ये क़ानून उन लोगों के लिए है जो मूल रूप से भारत से बाहर के हैं और भारत में आ कर बस गए हैं. 


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आसानी के लिए ये प्रक्रिया डिजिटल रखी गई है 


भारतीय नागरिकों को अपनी नागरिकता का अधिकार प्राप्त करने की यह प्रक्रिया जटिल या समय-ग्राही नहीं है. इसको आसान करने हेतु इस प्रक्रिया का डिजिटलीकरण किया गया है. 



संशोधित कानून या एनआरसी से चिंता की आवश्यकता नहीं


गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि संशोधित नागरिकता क़ानून अथवा एनआरसी (नेशनल रेगिस्तार ऑफ़ सिटीजन्स) से लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है. इसमें इस देश के नागरिकों के हित का पूरा ध्यान रखा गया है. देश में बाहर से आये हुए लोगों की नागरिकता हेतु इस क़ानून का निर्माण किया गया है.  


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असम में भारतीय नागरिकता की कट ऑफ़ डेट भी घोषित 


गृह मंत्रालय ने सीमावर्ती भारतीय राज्यों के लिए भी नागरिकता की पहचान हेतु दिशा निर्देश जारी किये हैं. असम राज्य में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिकता देने के लिए मुकर्रर की गई यह कट ऑफ़ डेट 1971 की राखी गई है. इसके अंतर्गत वर्ष 1971 से पहले यहां जन्मे लोग देश की नागरिकता पाने के हकदार होंगे.