नई दिल्ली: महाराष्ट्र की सियासी पिक्चर में एक सीन ने तहलका मचा दिया है. सरकार बचाने की जदद्दोजहद के साथ उद्धव ठाकरे अब शिवसेना बचाने के मिशन में जुट गए हैं, पवार के कल दिए बयान के बाद उद्धव गुट सक्रिय हो गया है और एकनाथ के खिलाफ मुंबई में जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन होने लगे हैं. तो सवाल ये कि क्या पवार का पावर और उद्धव की आक्रामकता शिवसेना को टूटने से बचा पाएगी? 


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इस विधायक ने संजय राउत को दी सलाह


शिवसेना विधायक भास्कर जाधव ने शुक्रवार को पार्टी के नेता संजय राउत से बागी विधायकों को 'चुनौती देने' के बजाय उनसे बात करने को कहा है. चिपलुन से विधायक जाधव ने मीडिया से कहा, 'बागियों से संवाद करिए, यह पता लगाइए कि क्या उनकी शिकायतें सही हैं. मतभेदों को संवाद से हल किया जा सकता है.'


जाधव उन चंद विधायकों में से एक हैं, जो शिवसेना के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बागी विधायकों के खेमे में शामिल नहीं हुए हैं.


उद्धव ने सरकार बचाने के लिए चली ये चाल


22 जून 2022 को महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि 'मैं इस्तीफा देने को भी तैयार हूं, मुझे सत्ता को लोभ नहीं है.' एकनाथ शिंदे की बगावत से कल तक उद्धव ठाकरे हताश और निराश नजर आ रहे थे. वो बागी विधायकों से गुहार लगा रहे थे कि लौट आओ, बात करो, जो कहोगे वो मान लूंगा. लेकिन, सरकारी निवास वर्षा से मातोश्री पहुंचते ही जैसे उद्धव ठाकरे में नई जान आ गई.


मुंबई में समर्थकों का हुजूम और कार्यकर्ताओं का जोश देखकर उद्घव ठाकरे एक बार फिर यलगार करने लगे. उन्होंने जिला प्रमुखों की बैठक में कहा कि 'कोरोना के कारण आंखों में पानी है, आंसू नहीं है ये.. ठाकरे और शिवसेना का नाम लिए बिना बाग़ियों का कोई अस्तित्व नहीं है. मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार ना करना बागियों की राक्षसी महत्वाकांक्षा है. मैंने जिद नही छोड़ी है,मेरी जिद अभी भी कायम है. पेड़ के फूल ले सकते हो,डालियां भी ले सकते हो, लेकिन इनके बच्चों को नही ले जा सकते. मैंने वर्षा छोड़ दिया, लेकिन हठ नहीं छोड़ा है.'


वहीं शिवसेना नेता अम्बा दास ने कहा कि हम ऐसी परिस्थिति से डरते नहीं है. इसके अलावा शिवसेना नेता विट्ठल मोरे ने बोला कि मैं नवी मुंबई का जिला प्रमुख हूं, आज बैठक में आया हूं. इस तरह की घटना से शिवसेना हमेशा मजबूत ही हुई है.


उद्धव ठाकरे हाथ जोड़ते-जोड़ते अब हाथ उठाकर अपने समर्थकों का आह्वाहन करने लगे हैं. एकनाथ शिंदे को चुनौती देने लगे हैं. यही नहीं एकनाथ शिंदे के ख़िलाफ़ ज़हर भी उगल रहे हैं.


विधायकों को लालच देने का लगाया आरोप


उद्धव ठाकरे ने कहा कि 'विधायकों को लालच देकर अपनी तरफ खींचा गया. एकनाथ शिंद के लिए क्या नहीं किया, नगर विकास मंत्रालय दिया. यही नहीं उन्होंने शिंदे के नाम लिया बिना उनपर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग बोलते थे कि हम मरने पर भी शिवसेना नहीं छोड़ेंगे, वो मरने के पहले ही छोड़कर चले गए.'


जाहिर है, मुख्यमंत्री पद जाता तो जाता, लेकिन जब उद्धव को ये लगा कि पूरी की पूरी पार्टी ही उनके हाथों से खिसक जाएगी तो उन्होंने भी हल्ला बोलने का फैसला कर लिया. अपने समर्थकों और पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने लगे. तो कई दिनों से नदारद आदित्य ठाकरे भी मैदान में कूद पड़े. आदित्य ठाकरे शिवसेना कार्यकर्ताओं के बीच जाकर अपनी पार्टी और सरकार को बचाने के लिए आंदोलन जैसी पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं.


दावे अपनी जगह हैं, और हकीकत अपनी जगह.. महाराष्ट्र की सियासत में शह और मात का खेल जारी है. कल तक उद्धव सरेंडर मोड में नजर आ रहे थे, लेकिन अब एकनाथ शिंदे से युद्ध लड़ने को तैयार हैं. मतलब साफ है, अब फ्लोर टेस्ट होगा और उसी में तय होगा कि उद्धव में है दम या शिंदे होंगे महाराष्ट्र के नए सिंघम.


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