Communist Islam: भारत में `इस्लामिक वामपंथ` के पीछे गहरी साजिश
सवाल किसी की हार या किसी की जीत का नहीं है. सवाल देश की शांति व्यवस्था और हमारे भविष्य का है. सवाल उन षड्यंत्रों का है, जिसे अनदेखा करना राष्ट्र के लिए घातक है. क्योंकि वामपंथ (Left Ideology) का चोला ओढ़े इस्लामी कट्टरपंथ (Islamic fanaticism) के पीछे विदेशी साजिश गहराती जा रही है.
नई दिल्ली: यह कल्पना भी कष्टदायक है कि यदि भारत में भी इराक (Iraq), सीरिया (Syria), लीबिया (Libya), लेबनॉन, अफगानिस्तान या पाकिस्तान की तरह कट्टरपंथी ताकतवर हो गए तो हमारे बच्चों का भविष्य कैसा होगा?
क्या हम हम वैसे ही वीभत्स दृश्य देखने को मजबूर होंगे, जो इस्लाम के नाम पर इन देशों के मजहबी धर्मांधों ने पूरी दुनिया के सामने पेश किया है.
क्या है इसका समाधान?
अगर हम अपने देश को मजहबी कट्टरपंथियों से बचाना चाहते हैं तो क्या करें? घृणा या नफ़रत की खाई को बढ़ाएं?
या फिर इस विद्रूप सच को स्वीकारने और आंदोलन के नाम पर लामबंद होती हुई उस इस्लामिक गोलबंदी को खारिज करें. जो इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को अपना मसीहा मानती है और तुर्की में लाइब्रेरी को मस्जिद में तब्दील करने वाले एर्दोगान में खलीफा को देखती है.
बर्बरों के निशाने पर भारत
भारत इस बार फिर बर्बर मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर है, तुर्की और पाकिस्तान (एक आईएसआईएस (ISIS) समर्थक दूसरा इस्लामिक आतंक (Islamic terrorism) की फैक्ट्री) अब खुलकर मैदान में हैं. जो इस्लाम के नाम पर एक अलग तरह के समीकरण को सिद्ध करने में लगे हैं. ये वो इस्लामिक समीकरण है जो सऊदी अरब के बिना है.तो क्या तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों की हैसियत वाकई ऐसी ही चुकी है कि ये अमेरिका, Russia जैसे देशों के पाले से निकल कर अपनी लाइन खींच रहे हैं? जवाब है नहीं.
चीन दे रहा है शह
मौजूदा दौर में चीन के दो दुश्मन हैं. एक अमेरिका और दूसरा भारत. भारत से सीमा विवाद और क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा है जबकि अमेरिका से शक्ति प्रतिस्पर्धा. चीन जानता है कि सीधी लड़ाई दोनों से ही मुमकिन नहीं लिहाज़ा प्रॉक्सी वॉर के लिए वैचारिक ज़मीन और सेना तुर्की और पाकिस्तान के पास है. ये वो सेना है जो इस्लामिक आतंक में सिद्धहस्त है. जिस के आतंक को संयुक्त राष्ट्र तक रोक पाने में नाकारा साबित होता रहा है. जिससे इस संस्था की शक्ति और प्रासंगिकता का पता चलता है.
वामपंथ का चोला ओढ़कर आया इस्लामी कट्टरपंथ
2014 में मोदी सरकार के बनने के बाद इस्लामिक वामपंथी ब्रिगेड द्वारा रची गई "असहिष्णुता" की कथित मुहिम अनायास नहीं थी. ये बबूल का वो बीज था. जिसके वृक्ष पर आने वाले कांटों के ज़रिए, उस सरकार को उखाड़ फेंकने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की साजिश रची गई थी. क्योंकि ये सरकार देश के भीतर और बाहर आतंकवाद पर मुखर और आक्रामक तरीके से बोलती रही है.
वामपंथी धड़े को राष्ट्रवादी सरकार से एलर्जी थी, और ऐसा ही घनघोर पूर्वाग्रह मुस्लिम कट्टरपंथियों को भी था. हालांकि उनकी परवाह नहीं करते हुए केंद्र सरकार ने लगातार ऐसे फैसला किए जिसकी वजह से मुस्लिम कट्टरपंथियों और वामपंथियों को भारी चोट पहुंची. जैसे-
- तीन तलाक़ के खिलाफ कानून
- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना
- नागरिकता संशोधन कानून
- आतंकवाद निरोधी कानून (UAPA) में संशोधन
यहां तक कि राम मंदिर पर देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले को भी इस्लामिक वामपंथियों ने सरकार से जोड़ा. इस्लामिक वामपंथियों ने इसे एक हिंदूवादी सरकार के मुस्लिमों के खिलाफ उठाए गए कदम के तौर पर पेश किया. जबकि इनमें से एक को छोड़कर सभी कानून समाज और देश की संप्रभुता को सुनिश्चित करने वाले थे. तीन तलाक कानून भी मुस्लिम महिलाओं को शरिया कानून के जुल्म से उबारने वाला था.
धार्मिक आधार पर एकजुट हिंदूओं को तोड़ने की कोशिश
स्टालिन के नरसंहार और माओवाद की खूनी क्रांति की धारा का मेल खलीफा के बर्बर इस्लामी शासन से मिलता जुलता है. धर्म को अफीम बताने वाले खोखले वामपंथियों ने CAA को एक धर्म पर हमला करार देने का झूठ गढ़ा और तगड़ी लामबंदी की. जिसके कारण भीड़ में बाबा साहेब के पोस्टर दिखने लगे. ये एक झूठा नरेटिव था, जिसे गढ़ने में वामोपंथी माहिर होते हैं. एक बार फिर मुस्लिम-दलित गठजोड़ की चाल चली जाने लगी.
भीम आर्मी का फाउंडर चंद्रशेखर भी CAA विरोधी कथित आंदोलन से जुड़ा. उस समय मुस्लिम कट्टरपंथियों के आंखों की चमक देखने वाली थी. क्योंकि इसके जरिए वो एक ऐसी ढाल तैयार करने में सफल रहे थे. जिसके पीछे वो अपने कट्टरपंथी मंसूबों को छुपा सकते थे.
ये रणनीति उनके लिए आगे की राह आसान करने वाली थी. पैसे की कोई कमी नहीं है. क्योंकि एक तरफ माओवादी चीन है तो दूसरी तरफ ISIS जैसे आतंकी संगठन को चलाने वाला तुर्की.
लेकिन इस्लामी वामपंथियों की इस शातिर चाल को समझना अति आवश्यक है. क्योंकि इनका मकसद देश को कई हिस्सों में बांट देना और सत्य सनातन धर्म की जड़ों पर प्रहार करना है. इनकी शातिर चालों की जानकारी रखना ही असली बचाव है.
ये भी पढ़ें--इस्लामी बर्बरता से भारत को सचेत रहने की जरुरत
देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा. नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-
Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN
iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234