नई दिल्ली: किसान आंदोलन खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है, लेकिन अपवित्र खेला जारी है. किसान एक के बाद नई मांग कर अपनी ही छवि खराब कर रहे हैं. जबकि आंदोलन की शुरुआत से अब तक कई ऐसे आरोप हैं, जिनका जवाब आंदोलनजीवियों ने नहीं दिया है. सवाल यह भी है कि आखिर इस आंदोलन से किसानों को क्या मिला?


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पीएम ने तो दिखा दिया बड़ा दिल
कानून वापसी के ऐलान को केंद्रीय मंत्री, पीएम मोदी का बड़प्पन बताने में जुटे हैं. पीएम मोदी ने देश से माफी मांग ली और कह दिया कि कृषि कानून अच्छे थे लेकिन हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. शायद हमारी तपस्या में ही कहीं कमी रह गई. 


एमएसपी की मांग पर पीएम मोदी ने कहा कि इसके लिए कमेटी बनाएंगे, जिसमें किसान नेताओं को भी शामिल किया जाएगा. कमेटी के फैसले के मुताबिक किसानों के लिए जो ठीक होगा करेंगे, लेकिन कमेटी के नाम पर आंदोलनकारी नेता आपस में ही भिड़ गए.

वहीं संसद से कानून वापसी होने के बाद पंजाब के ज्यादातर किसान संगठन घर वापसी की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि आंदोलन की शुरुआत ही इसी नारे के साथ हुई थी कि जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं.

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आंदोलनकारियों पर लगे आरोप
1-खालिस्तानी समर्थकों के शामिल होने का आरोप
2- किसान आंदोलन में विदेशी फंडिंग के आरोप
3-750 की मौत का दावा, पर इसमें किसकी गलती
4-यूपी-दिल्ली-हरियाणा में दर्ज 60 हजार से ज्यादा केस
5-सैकड़ों ट्रैक्टर पुलिस ने जब्त किए जो कबाड़ हो गए
6-लखीमपुर के जीप कांड में पीट-पीटकर हत्या का आरोप
7-आंदोलन के पीछे विपक्ष की साजिश का आरोप
8-आंदोलन की आड़ में देश विरोधी षड़यंत्र का आरोप


सरकार ने भी दिखाया था हट
सरकार के हठ की वजह से बॉर्डर पर एक साल तक भीषण सर्दी, गर्मी और बरसात में हजारों किसान बैठे रहे. कोरोना वायरस के भीषण दौर में भी प्रदर्शनकारी नहीं हिले. ठंड की वजह से सैकड़ों बुजुर्ग किसानों की मौत हो गई. कई प्रदर्शनकारियों ने सुसाइड कर लिया. 


अब क्या है कृषि मंत्री का दावा
संसद में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने साफ कह दिया कि आंदोलन की वजह से किसी की मौत की रिपोर्ट नहीं है. इसलिए मुआवजे का कोई सवाल ही नहीं हैं. ऊपर से सरकार के मंत्रियों ने कहा कि आंदोलन की वजह से 2731 करोड़ रुपये टोल का नुकसान हुआ है. चक्का जाम से रेलवे को 22 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है. यानी इस नुकसान के जिम्मेदार आंदोलनकारी हैं. इन आरोपों के बाद लगता नहीं है कि एक साल के आंदोलन से किसानों को कुछ मिला है. 

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