Bhopal Gas Tragedy: आरडी प्रधान, वो शख्स जिनके कॉल से 25000 मौतों का गुनहगार भागा

उस मनहूस दिन की सुबह शहर से दूर बसे यूनियन कार्बाइड प्लांट सी में घातक गैस का रिसाव हुआ. फिर हवा के झोंके के साथ यह गैस शहर में पहुंच गई. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 2, 2021, 11:40 AM IST
  • यूनियन कार्बाइड प्लांट का जनरल मैनेजर वॉरेन एंडरसन रातों-रात भाग गया
  • वह घटना के वक्त भारत में नहीं था, सेफ पेसज के आश्वासन पर वह भारत आया
Bhopal Gas Tragedy: आरडी प्रधान, वो शख्स जिनके कॉल से 25000 मौतों का गुनहगार भागा

नई दिल्ली: आज से ठीक 37 साल पहले दो दिसंबर 1994 को भोपाल शहर में प्रलय आई थी. ऐसी प्रलय जिसमें करीब 25 हजार लोगों की मौत हो गई और कम से कम 558,125 लोग घायल और बीमार हो गए. पर मानवता की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक झेलने वाले इस शहर को आज तक इंसाफ नहीं मिला है. 

उस मनहूस दिन की सुबह शहर से दूर बसे यूनियन कार्बाइड प्लांट सी में घातक गैस का रिसाव हुआ. फिर हवा के झोंके के साथ यह गैस शहर में पहुंच गई. लोग धीरे-धीरे मरने लगे. पर काफी देर किसी को पता ही नहीं चला कि आखिर हो क्या रहा है. 

कहते हैं कि फैक्ट्री से 40 टन गैस लीक हुई. क्योंकि टैंक नंबर 620 से जहरीली गैस मिथाइन आइसोसाइनेट गैस से पानी मिल गया था. इससे जबरदस्त रासायनिक प्रक्रिया हुई और दबाब से टैंक खुला. फिर हवा वायुमंडल में फैल गई. सबसे पहले शिकार प्लांट के पास झुग्गियों में रहने वाले लोग हुए. 

घटना के वक्त भारत में नहीं थे मुख्य आरोप एंडरसन
इस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड प्लांट का जनरल मैनेजर वॉरेन एंडरसन रातों-रात भाग गया. दरअसल घटना के वक्त वॉरेन एंडरसन भारत में नहीं थे. कहते हैं कि उन्हें सेफ़ पेसेज का आश्वासन मिला. तब घटना के 5 दिन बाद यानी 7 दिसम्बर को एंडरसन भोपाल पहुंचे. जहां पुलिस ने गिरफ़्तार कर गेस्ट हाउस में डाल दिया. 

बताते हैं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह तब एक इलेक्शन रैली में बिज़ी थे. उन्हें दिल्ली से एक फ़ोन आया और एंडरसन को 25 हज़ार रुपए के निजी बांड पर छोड़ दिया गया. बाक़ायदा एक सरकारी हवाई जहाज़ में दिल्ली ले ज़ाया गया. जिसके बाद एंडरसन अमेरिका चले गए. पर्सनल बॉंड में लिखित वादा दिया था कि तहक़ीक़ात के लिए मौजूद रहेंगे. लेकिन एक बार एंडरसन अमेरिका पहुंचे तो फिर कभी वापस ना लौटे.

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7 जून, 2010 को आए स्थानीय अदालत के फैसले में आरोपियों को सिर्फ दो-दो साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन सभी आरोपी जमानत पर रिहा भी कर दिए गए. बाद में 29 सितंबर 2014 को मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन की भी मौत हो गई. 

वो फोन कॉल किसने की
‘अ ग्रेन ऑफ़ सैंड इन द ऑवरग्लास ऑफ़ टाइम’ में तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह ने लिखा कि उन्हें फ़ोन यूनियन होम सेक्रेटरी RD प्रधान ने किया था. प्रधान ने उन्हें कहा था कि यूनियन होम मिनिस्टर पीवी नरसिम्हा राव के निर्देशनुसार, एंडरसन को छोड़ दिया जाए. प्रधान ने बाद में कहा कि दिसम्बर 1984 में वो महाराष्ट्र के चीफ़ सेक्रेटरी थे. और घटना के एक महीने बाद जनवरी 1985 में यूनियन सेक्रेटरी नियुक्त हुए थे. इसलिए आज भी उस फोन कॉल से जुड़े कई सवाल कायम हैं. 

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