यूपी मदरसा बोर्ड कानून रद्द, हाईकोर्ट बोला- यह असंवैधानिक, धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ
Madarsa Education Act declared unconstitutional: न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को वर्तमान में मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में समायोजित करने के लिए एक योजना बनाने का भी निर्देश दिया.
Madarsa Education Act declared unconstitutional: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन घोषित कर दिया.
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को वर्तमान में मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में समायोजित करने के लिए एक योजना बनाने का भी निर्देश दिया.
अदालत की लखनऊ शाखा ने अंशुमान सिंह राठौड़ नामक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया. इसमें अधिनियम की संवैधानिक वैधता और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2012 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई थी.
क्या है मामला?
यह फैसला राज्य सरकार द्वारा राज्य में इस्लामी शिक्षा संस्थानों का सर्वेक्षण करने के निर्णय के महीनों बाद आया है. इसने मदरसों को विदेशों से मिलने वाले फंड की जांच के लिए अक्टूबर 2023 में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था.
राठौड़ ने यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता को चुनौती दी थी और साथ ही भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा मदरसों के प्रबंधन पर आपत्ति जताई थी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच के फैसले के बाद अनुदान प्राप्त मदरसों को सरकार से मिलने वाली सभी अनुदान यानी आर्थिक मदद बंद हो जाएगी और ऐसे मदरसों को बंद कर दिया जाएगा.
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