लखनऊ: लखनऊ अपना फेफड़ा, बच्चों का स्वर्ग और पशुप्रेमी अपना पसंदीदा स्थान खोने वाले हैं. 100 साल से अधिक पुराना लखनऊ चिड़ियाघर जल्द ही राज्य की राजधानी के बाहर नए स्थान पर स्थानांतरित होगा. लखनऊ चिड़ियाघर को कुकरैल वन क्षेत्र में स्थानांतरित करने का काम अगले साल की शुरुआत में शुरू होगा. वन विभाग ने 2023 के अंत तक कुकरैल चिड़ियाघर और नाइट सफारी परियोजना को पूरा करने की समय सीमा निर्धारित की है.
कुकरैल चिड़ियाघर में ट्रांसफर किया जाएगा लखनऊ चिड़ियाघर
यूपी के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना ने कहा, विभाग ने अगले साल 29 नवंबर को कुकरैल चिड़ियाघर और नाइट सफारी पार्क में लखनऊ चिड़ियाघर का स्थापना दिवस मनाने का फैसला किया है. फरवरी के अंत तक प्रोजेक्ट के लिए कैंप स्ट्रक्चर और वॉररूम का निर्माण कर लिया जाएगा और प्रोजेक्ट से जुड़ी हर बैठक वहीं होगी.
इस साल अगस्त में राज्य कैबिनेट ने कुकरैल जंगल में नाइट सफारी पार्क के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. नया चिड़ियाघर अतिरिक्त आकर्षणों के साथ बड़ा और बेहतर होगा. प्रस्ताव के अनुसार कुकरैल में 2027 हेक्टेयर वन क्षेत्र में चिड़ियाघर और नाइट सफारी पार्क होंगे. जू से बड़े एरिया में नाइट सफारी होगी.
आगंतुकों के लिए ये सुविधाएं देने की तैयारी में राज्य सरकार
राज्य सरकार आगंतुकों के लिए विश्व स्तरीय सुविधाएं बनाने के अलावा कनेक्टिविटी में सुधार के लिए जंगल के बाहरी इलाके में चार लेन की सड़क बनाने की योजना बना रही है. यह परियोजना राज्य में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देगी. यह स्थानीय स्तर पर रोजगार भी पैदा करेगा और आसपास के क्षेत्रों में सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देगा. इसके अलावा यह वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देगा और वन्य जीवन और जंगल के बारे में जागरूकता बढ़ाएगा.
10 किमी दूर कुकरैल वन क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाएगा चिड़ियाघर
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने लखनऊ चिड़ियाघर को 10 किमी दूर कुकरैल वन क्षेत्र में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है. पर्यावरणविदों और प्रकृति प्रेमियों ने नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में स्थित 100 से अधिक प्रजातियों के 5 हजार से अधिक पेड़ों के भाग्य के विचार शुरू दिया है.
एक वन अधिकारी ने कहा बगीचे को स्थानांतरित करने के संबंध में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. हालांकि आजकल ऐसी प्रौद्योगिकियां हैं, जिनमें पेड़ों को स्थानांतरित किया जा सकता है, लेकिन यह आसान काम नहीं होगा.
हालांकि राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) ने चेतावनी दी है कि वृक्षों के स्थानांतरण में सफलता की गारंटी नहीं है.
पहले बनारसी बाग के नाम से जाना जाता था ये उद्यान
अधिकारी ने कहा, पेड़ों को स्थानांतरित करना एक बड़ा काम है. लेकिन यह हमेशा सफलता की गारंटी नहीं देता है. कई मामलों में उखड़े हुए पेड़ मर जाते हैं. चिड़ियाघर रेंज अधिकारी ने कहा, जहां तक चिड़ियाघर का संबंध है, हम सीजेडीए के निर्देश का पालन करेंगे, पेड़ों और अन्य पौधों के भाग्य का फैसला सरकार करेगी.
गौरतलब है कि उद्यान, चिड़ियाघर से भी पुराना है, जिसे 18वीं शताब्दी में अवध के तत्कालीन नवाब नवाब नसीरुद्दीन हैदर द्वारा स्थापित किया गया था. उस समय इसे बनारसी बाग के नाम से जाना जाता था. यहां पारिजात, बरगद आदि दुर्लभ प्रकार के पेड़ स्थित हैं. पारिजात का पेड़ 100 साल पुराना माना जाता है.
वर्तमान चिड़ियाघर के आकार से दोगुना होगा ये नया स्थान
स्तनधारियों, पक्षियों और सरीसृपों की 100 से अधिक प्रजातियों को कुकरैल में उनके नए घर में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जो उनके वर्तमान घर (चिड़ियाघर) के आकार से कम से कम दोगुना होगा. यह पहली बार है जब उत्तर प्रदेश में एक पूरे चिड़ियाघर को स्थानांतरित किया जा रहा है.
चिड़ियाघर संचालक वी.के. मिश्र ने कहा, पूरी स्थानांतरण प्रक्रिया केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) के एक प्रस्ताव के साथ शुरू होगी. हजरतगंज में स्थित वर्तमान परिसर 29 हेक्टेयर में फैला हुआ है और नया परिसर 60 हेक्टेयर या 150 एकड़ से अधिक का होगा.
(इनपुट- आईएएनएस)
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