वाराणसी : Ground Report- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विकास के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. जाम की परेशानियों से जूझने वाले बनारस में करोड़ों का खर्च करके मल्टी लेवल पार्किंग बनाई गई, लेकिन बनारस के लोगों को शायद सड़क पर ही अपनी गाड़ी खड़ी करने में मजा आता है.


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क्यों खाली है करोड़ों की मल्टी लेवल पार्किंग?


काशी के धार्मिक स्थलों दशाश्वमेध घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और अन्नपूर्णा माता मंदिर तक जाने वाले मुख्य मार्गों में से एक गोदौलिया पर हाल ही में मल्टी लेवल पार्किंग बन कर तैयार हुई है. इसका लोकार्पण खुद बनारस के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया.

जब ज़ी हिन्दुस्तान की टीम ने गोदौलिया की इस पार्किंग का रुख किया तो रास्ते में भयंकर जाम का सामना करना पड़ा. 10 मिनट का सफर करीब 50 मिनट में तब्दील हो गया. इसके पीछे जो कारण था उसे जानने से पहले ये समझिए कि हम जब पार्किंग में पहुंचे तो क्या हुआ.


पार्किंग का क्या हाल है इसे देखने के लिए हम भी एक बाइक पर सवार होकर पार्किंग में प्रवेश करते हैं. वहां मौजूद पार्किंग का कर्मचारी हमसे बाइक को साइड में लगाने के लिए कहता है. इतने में एक दूसरा कर्मचारी हाथों में मशीन लेकर हमारे पास आता है और मशीन में गाड़ी नंबर डाल कर हमारी पर्ची काटता है.

इसका चार्ज सभी के लिए बराबर है, पहले 3 घंटे के लिए 20 रुपए और उसके बाद प्रति एक घंटे के लिए 10 रुपए का चार्ज लगाया जाता है.


राजू ने बताया- रोज सिर्फ 200 गाड़ियां होती हैं पार्क


वहां मौजूद एक कर्मचारी से हमने बात की और जो जानकारियां सामने आईं, उससे हर कोई चौंक जाएगा. राजू नाम के एक कर्मी ने बताया कि 'दिन भर यहां मुश्किल से सिर्फ 100-150 गाड़ियां पार्क होती है. जिस दिन 200 का आंकड़ा पार हो जाए, तो समझिए आज सूरज जैसे पश्चिम से निकला हो.'


जब राजू ने ऐसी बात की तो हमने भी झट से एक दूसरे कर्मचारी से पूछ लिया कि भाई एक बार में कुल कितनी गाड़ियों पार्किंग हो सकती है. दूसरे कर्मी ने बताया कि '350 से 375 गाड़ियों की पार्किंग यहां एक बार में की जा सकती है. मगर कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि पार्किंग फुल हो गया हो.'


जब कर्मचारियों से उसकी सैलेरी के बारे में पूछा तो उन्होंने अपने चेहरे पर उदासी झलकाते हुए कहा कि 'भईया एक दिन का 225 रुपया मिलता है. वो तो मजबूरी है, कोरोना के चलते वरना मैंने भी विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है.' उन्होंने ये भी बताया कि यहां शिफ्ट में काम होता है, 8-8 घंटे की शिफ्ट होती है और एक शिफ्ट में 4 कर्मचारी काम करते हैं.

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अच्छा, तो इस कारण सड़कों पर होता है जाम...!


अब तक हम जाम के मुद्दे पर थोड़े कन्फ्यूज थे, लेकिन अब तस्वीरें साफ होने लगी थी. हमने पार्किंग के कर्मचारियों से ये भी पूछने की कोशिश की, आखिर लोग यहां गाड़ियां क्यों पार्क नहीं करते हैं? हालांकि कर्मचारियों ने बनारस अंदाज में कहा कि 'अब ई बात तो उहे लोग जानेंगे न, जो बाहर गाड़ी खड़ी कर के मौज करत हैं.'


काशी के धार्मिक स्थलों (दशाश्वमेध घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, अन्नपूर्णा माता मंदिर) से पैदल दूरी पर ही ये पार्किंग स्थित है. मगर गाड़ियां पार्किंग में नहीं, बल्कि सड़कों पर खड़ी की जाती हैं.

ज़ी हिन्दुस्तान की टीम ने आपको पहले ही बताया था कि हमें चंद 10 मिनट की दूरी 50 मिनट में तय करनी पड़ी थी. इसकी सबसे बड़ी वजह यही दिखी कि सड़कों के दोनों किनारे पर सैकड़ों गाड़ियां खड़ी की गई थीं. अब हमने भी सोचा कि चलो उन लोगों से पूछा जाए कि आखिर वो अपनी गाड़ियां पार्किंग में क्यों नहीं खड़ी करते हैं?


तरह-तरह के लोगों ने दिया अजीबो-गरीब जवाब


वैसे तो सड़क के दोनों किनारे पर सैकड़ों गाड़ियां खड़ी थीं, जिसके मालिक शायद जो करने आए थे वो कर रहे होंगे. मगर कुछ लोग ऐसे दिखे तो थोड़ी सी जगह ढूंढ कर उसी में अपनी बाइक घुसा देते और पार्किंग कर देते. ऐसा ही कर रहे शमशाद नाम के एक व्यक्ति से हमने पूछ लिया कि भईया आप अपनी गाड़ी यहां क्यों खड़ा कर रहे हैं वहां पार्किंग तो बनी ही है. शमशाद ने हमसे कहा, 'तुमको हम ही नजर आ रहे हैं का? इतना बाइक तो लगी है, जाओ सबसे पूछो.'


हम भी कहां रुकने वाले थे, एक दूसरे शख्स के पास पहुंचे. उन्होंने अपना नाम रवि पाठक बताया. जब उनसे यही सवाल पूछे तो उन्होंने कहा, 'बाप रे बाप.. इतना महंगा पार्किंग में हम गाड़ी खड़ा करब, जा मर्दे आपन काम करा लोगन, हम त सड़किये पर लगाइब.' मतलब रवि पाठक जी का दर्द उस 20 रुपए से है, जो पार्किंग में 3 घंटे की चार्ज लिया जाता है.


हमारे जेहन में सवाल तो कई सारे थे. इसीलिए हमने अलग एक व्यक्ति से पूछ लिया कि क्या ऐसे ही रोज सड़क पर गाड़ियां खड़ी होती हैं? क्या पुलिस इस पर एक्शन नहीं लेती है? उन्होंने जवाब दिया कि 'हम तो रोज खड़ी करते हैं अपनी गाड़ी और पुलिस कितना लोग की गाड़ी उठाएगी, यहां तो हजारों गाड़ियां है. हम यहीं गाड़ी खड़ी करेंगे, पैसा देकर पार्किंग नहीं करेंगे.'


ट्रैफिक पुलिस ने बताई क्या है इसकी वजह


ज़ी हिन्दुस्तान ने कई ट्रैफिक पुलिस के जवान से बात करने की कोशिश की. सभी ने कुछ भी कहने से मना कर दिया. हालांकि एक सिपाही ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर हमसे बताया कि 'हम तो अपना काम करते हैं, ट्रैफिक क्लीयर कराना, नियमों का पालन कराना, लेकिन इतने सारे लोग एक साथ अपनी गाड़ियां सड़क पर खड़ी करेंगे तो किस-किस के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. बनारस में जिनते ट्रैफिक पुलिसकर्मी होंगे उससे ज्यादा तो यहां दिन भर सड़क के किनारे गाड़ियां खड़ी होती हैं.'


Zee हिंदुस्तान की टीम ने अपर पुलिस उपायुक्त यातायात यानी एडीशनल डेप्युटी कमिश्नर ऑफ पुलिस ट्रैफिक दिनेश कुमार पुरी से बात की. उन्होंने पहले तो कहा कि यह मामला यह मामला नगर निगम के अंडर आता है, लेकिन जब हमने यह पूछा यह सवाल किया कि क्या आप उन गाड़ियों पर एक्शन लेते हैं जो सड़क के किनारे खड़ी है? उन्होंने कहा कि हां हम एक्शन लेते हैं.

बाइक सड़क के दोनों किनारे पर खड़ी रहती हैं


करीब एक किलोमीटर तक ऐसे ही बाइक सड़क के दोनों किनारे पर खड़ी रहती हैं. इस तस्वीर और बयान से समझने में आसानी होगी कि आखिर बनारस में जाम की असल वजह क्या है. हालांकि कुछ लोगों ने स्मार्ट सिटी के इस प्रोजेक्ट की काफी तारीफ भी की. जो लोग इस पार्किंग का लाभ उठा रहे हैं,

उन्होंने तो साफ-साफ शब्दों में कहा कि सभी को इसमें गाड़ी पार्क करनी चाहिए. बहुत सारे लोगों ने पीएम मोदी की सराहना करते हुए ये कहा कि मोदी जी ने ये बहुत बड़ा तोहफा बनारस को दिया है और लोगों को इसका इस्तेमाल करना चाहिए.


कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने हमें बताया कि वो चाहते हैं कि अपनी गाड़ी पार्किंग में खड़ी करें, लेकिन उसके लिए सरकार को कुछ काम करना पड़ेगा.


बनारस में जॉब करने वाले निशांत ने बताया कि 'मैं चाहता हूं कि मेरी गाड़ी पार्किंग में खड़ी हो, लेकिन मैं रोज यहां आता हूं. 8 से 9 घंटे की नौकरी करता हूं. अगर मैं इस पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करूंगा तो क्या कमाऊंगा और क्या खाऊंगा और क्या बचाऊंगा. अगर 9 घंटे पार्किंग में गाड़ी खड़ी करूंगा तो 80 रुपया एक दिन में लगेगा, 2400 रुपया महीने में पार्किंग का देना पड़ेगा.

उन्होंने कहा, पेट्रोल का दाम आसमान छू रहा है, उपर से पार्किंग में भी 2400 रुपया लग जाएगा तो क्या करूंगा. मैं चाहता हूं कि सरकार रोज गाड़ी खड़ी करने वालों के लिए और आस-पास नौकरी करने वालों के लिए कम कीमत पर एक पास (Pass) बनवाए, ताकि हम लोग अपनी गाड़ी सड़क पर खड़ी न करें.'


कई लोगों ने प्राइवेट कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो अपनी मनमर्जी से पार्किंग के नाम पर वसूली कर रही है. इसलिए इतना ज्यादा चार्ज लगाया गया है.


ऐसे कैसे होगा जाम की समस्या का निदान?


आंकड़ों पर नजर डालें तो इस पार्किंग के निर्माण में 21.17 करोड़ रुपये का खर्च हुआ. यह बनारस का पहला मल्टी लेवल पार्किंग है. इस पार्किंग के निर्माण का मकसद ये था कि शहरी क्षेत्र में यातायात की समस्या का निदान हो जाए.


पार्किंग चालू भी हो गई, लेकिन लोगों ने इससे तौबा कर लिया है. सरकार और इससे जुड़े अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है. योजनाएं लोगों के लिए होती हैं और जब लोग ही सरकार की योजनाओं और सुविधाओं का बहिष्कार करने लगेंगे तो सवालों के कटघरे में सिस्टम जरूर खड़ा होगा.

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