आखिर कैसे देवेन्द्र सिंह जैसा देशद्रोही हमेशा से बचता रहा? जानिए यहां
आतंकियों को अपनी गाड़ी में बैठाकर उनके ठिकाने तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे DSP देवेंद्र सिंह तो गिरफ्तार हो गए. लेकिन उनकी गिरफ्तारी के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है. कि आखिर कांग्रेस पार्टी क्यों धर्म की राजनीति पर उतर आई है और आखिर कैसे देवेन्द्र सिंह जैसा देशद्रोही अब तक बचता आ रहा है. क्योंकि देशद्रोही` देवेंद्र को लेकर एक के बाद एक कई खुलासे हो रहे हैं.
नई दिल्ली: ऐसे पुलिस अधिकारी की जिस पर देश से गद्दारी का आरोप लगा है. 12 लाख की डील, निशाने पर गणतंत्र दिवस और आतंकियों के हथियारों के साथ-साथ उन्हें दिल्ली पहुंचाने का जिम्मा उठाने वाले 'गद्दार' का एक-एक सच सामने आ रहा है. लेकिन इस बीच एक सवाल ये उठ रहा है कि इसे लेकर आखिकार कांग्रेस क्यों डरी हुई है?
अफजल गुरू के साथ कनेक्शन
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार गणतंत्र दिवस के पहले आतंकियों को दिल्ली पहुंचाने के लिए देवेंद्र सिंह ने 12 लाख रुपये में डील की थी. साथ ही हथियार मुहैया कराने की भी जिम्मेदारी डीएसपी के ही पास थी. आपको बता दें, देशद्रोह के आरोपी देवेंद्र के गुनाह की लिस्ट बड़ी लंबी और पुरानी है. सबसे पहले आपको इस 'गद्दार' पुलिस अधिकारी का अफजल गुरू कनेक्शन समझाते हैं.
संसद अटैक के दोषी आतंकी अफजल गुरू ने अपने वकील को एक पत्र लिखा था जिसमें देवेंद्र सिंह के बारे में लिखा था. इस पत्र में ये बताया गया था कि उससे देवेंद्र सिंह ने एक आतंकी को दिल्ली लाने के लिए कहा था. ये आतंकी वही था जो संसद भवन पर हमले के दौरान मारा गया था. हालांकि अफजल गुरू के पत्र में देवेंद्र सिंह का नाम आने के बावजूद उससे कोई पूछताछ नहीं हुई थी.
इन खुलासों के साथ ही देश के सामने कई अहम सवाल आ खड़े हुए हैं.
सवाल नंबर 1- क्या देवेंद्र सिंह पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था?
सवाल नंबर 2- क्या ISI से थे देवेंद्र सिंह के संबंध?
सवाल नंबर 3- क्या देवेंद्र सिंह पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से भी ज़ुड़ा था?
सवाल नंबर 4- सबसे बड़ा सवाल कि क्या देवेंद्र सिंह देश का गद्दार है?
सवाल नंबर 5- देवेंद्र की गिरफ्तारी से कांग्रेस को क्यों लग रहा है डर?
देशद्रोह के संगीन मामले पर भी धर्म की राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं कांग्रेसी
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि देवेंद्र सिंह का नाम इससे पहले संसद हमले का दोषी अफजल गुरु भी ले चुका है. इसके बावजूद देवेंद्र सिंह हमेशा महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहा. इस पूरे माजरे में कांग्रेस कनेक्शन कहां से आता है ये भी आपको समझाते हैं. कांग्रेस पार्टी ने इस मामले पर भी राजनीति शुरू कर दी है. लेकिन ये राजनीति डर वाली प्रतीत हो रही है. गिरफ्तारी होने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी के नेता और प्रवक्ताओं की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो जाती है. सवाल ये है कि क्या कांग्रेस पार्टी को किसी बात का डर लग रहा है और अगर हां, तो फिर इस डर के पीछे की वजह क्या है?
1990 में बतौर SI हुआ था भर्ती
जानकारी के अनुसार देवेंद्र साल 1990 में बतौर सब-इंस्पेक्टर जम्मू-कश्मीर पुलिस में भर्ती हुआ था. इसने अमर सिंह कालेज से ग्रेजुएशन पूरी की थी. जॉइनिंग के साथ ही उसने सोपोर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में लोहा लिया था. आतंकवाद के खिलाफ पुराने काम को लेकर वो हर बार बचता रहा. पुलिस ने बार-बार नजरअंदाज किया. कई दफा जांच हुई लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया.
बकरे की मां कितने दिन खैर मनाएगी?
साल 1990 के दशक में 10 साल तक देवेंद्र ने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी SOG में काम किया था. उसके काम के लिए उसे आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला था और वो इंस्पेक्टर बन गया था. एक बार वो आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में घायल भी हो गया था. देवेंद्र सिंह एक दफा ड्रग्स के सौदागर से डील करता हुआ पकड़ा गया था. जिसके बाद इस मामले की बाकायदा जांच भी हुई थी. देवेंद्र पर रंगदारी करने का भी आरोप लगा था. इसके अलावा देवेंद्र ने लकड़ियों से भरी ट्रक को अगवा कर लिया था. जिसके बाद ये पता चला कि ये ट्रक पूर्व सीएम गुलाम मोईद्दीन शाह के एक रिश्तेदार की थी. उसके काम के लिए उसे राष्ट्रपति सम्मान भी मिला था.
एक कहावत है कि ''गीदड़ की मौत आती है तो वो शहर की तरफ भागता है.'' देवेंद्र के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उसे ये मालूम नहीं था कि वो आतंकियों को कार में बैठाकर ले जा रहा है तो इस बार उसका गुडलक काम नहीं आने वाला है और ऐसा ही हुआ. देवेंद्र सिंह को शनिवार को हिज्बुल मुजाहिद्दीन के दो टॉप आतंकियों के साथ गिरफ्तार किया गया.
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डीएसपी देवेंद्र के साथ पकड़े गये आतंकियों में टॉप हिजबुल आतंकवादी नावेद बाबू भी शामिल था. जो शोपियां में ट्रक चालक की हत्या में शामिल होने के साथ ही सुरक्षा बलों पर हमलों के लिए भी जिम्मेदार है. ऐसे में अब जांच एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती डीएसपी और आतंकियों की आगे की साजिश के साथ ही पिछली वारदातों के सच का खुलासा करना है.
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