नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश के सियासी संकट के बीच एक राजनेता सबसे ज्यादा चर्चाओं में है. उसका नाम है बीएल संतोष. संतोष भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) हैं और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं.


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आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीएल संतोष को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने योगी सरकार में चल रहे आंतरिक गतिरोध को खत्म करने की जिम्मेदारी सौंपी है.


उत्तरप्रदेश की योगी सरकार में आने वाले समय में कौन नया उप मुख्यमंत्री होगा और किसकी इस छुट्टी होगी, ये सब तय करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें लखनऊ भेजा था. 


भाजपा के संगठन महासचिव हैं बीएल संतोष


आपको बता दें कि बीएल संतोष को भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) का पदभार सौंपा था. जेपी नड्डा के अध्यक्ष बनने के बाद भी उनके पास ये जिम्मेदारी है.


संतोष को भाजपा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सबसे चहेता नेता माना जाता है. संतोष को अमित शाह ने रामलाल की जगह संगठन महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी थी.


संघ के प्रचारक रहे हैं बीएल संतोष


कर्नाटक में संघ के सबसे वरिष्ठ प्रचारक की छवि रखने वाले संतोष चुनावों के दौरान वार रूम के कुशल संचालन के लिए जाने जाते हैं. वे रहते लो प्रोफाइल हैं, लेकिन परदे के पीछे रणनीतियां बनाने में माहिर माने जाते हैं.


यही देखते हुए उन्हें जेपी नड्डा और अमित शाह ने यूपी सरकार के विस्तार और आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सब कुछ ठीक करने का जिम्मा सौंपा है.


संघ के लिए छोड़ दिया घर परिवार


कर्नाटक के शिमोगा जिले से नाता रखने वाले बी एल संतोष पेशे से केमिकल इंजीनियर रहे हैं. आरएसएस की विचारधारा इस कदर मन में रच बस गई कि इस इंजीनियर ने गृहस्थ जीवन बसाने का इरादा ही छोड़ दिया. उन्होंने जीवन भर अविवाहित रहने का  फैसला किया.


अविवाहित रहते हुए बीएल संतोष संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए. कर्नाटक सहित दक्षिण भारत के आधे दर्जन राज्यों में संघ और अनुषांगिक संगठनों में भूमिकाएं निभाते रहे हैं.


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भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद सबसे अहम होता है संगठन महासचिव का पद


गौरतलब है कि किसी भी राजनीतिक दल में राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सर्वोच्च होता है. भाजपा में भी यही है. BJP में प्रधानमंत्री या कोई भी मुख्यमंत्री कितना भी कद्दावर नेता क्यों न हो लेकिन संगठन से जुड़े फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास ही होता है और उन निर्णयों को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी संगठन महासचिव पर होती है. 


भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव भले ही कई हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) का पद एक होता है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद यह दूसरा सबसे ताकतवर पद होता है.


बीएल संतोष को BJP में माना जाता है संघ का प्रतिनिधि


प्रायः संगठन महासचिव पद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रतिनियुक्ति पर आए किसी प्रचारक की ही नियुक्ति होती है.


इसी तरह प्रदेशों में भी संगठन मंत्री का पद सिर्फ आरएसएस प्रचारक या पृष्ठिभूमि से जुड़े व्यक्ति को ही मिलता है. बीएल संतोष की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 13 साल तक रामलाल के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) रहने के बाद संतोष को इस पद के लिए चुना गया था.


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