Who is Journalist Mahesh Langa: गुजरात पुलिस ने पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. लांगा को इस महीने वस्तु एवं सेवा कर (GST) धोखाधड़ी के लिए गिरफ्तार किया गया था. लांगा के खिलाफ यह तीसरा मामला है. यह मामला अहमदाबाद में एक विज्ञापन कंपनी के मालिक की शिकायत पर मंगलवार को दर्ज किया गया.


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अहमदाबाद में हिंदू (The Hindu) के संवाददाता लांगा के खिलाफ दूसरा मामला गुजरात मैरीटाइम बोर्ड से जुड़ा था. बंदरगाहों से जुड़े होने के कारण इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण संवेदनशील बताया गया है.


प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अहमदाबाद के पत्रकार महेश लांगा पर करोड़ों रुपये के केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (GST) धोखाधड़ी में अहम भूमिका निभाने का आरोप लगाया है, जिसमें सैकड़ों फर्जी कंपनियां शामिल हैं.


एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ईडी ने 200 फर्जी संस्थाओं के एक नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिनका इस्तेमाल बिना किसी वस्तु या सेवा के आदान-प्रदान के धोखाधड़ी से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने के लिए किया जाता था.


महेश लांगा कौन हैं?
द हिंदू के गुजरात संवाददाता महेश पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर ब्लैकमेल, सेटलमेंट और अवैध कारोबार किया और इन गतिविधियों के जरिए कथित तौर पर लाखों कमाए. उनका नाम सरकारी दस्तावेजों के लीक होने के मामले में भी सामने आया है, जिसकी एफआईआर गांधीनगर में दर्ज की गई है.


हाल ही में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा महेश के घर की तलाशी में 20 लाख रुपये नकद, महंगे गहने और संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए गए. महेश लांगा की सालाना सैलरी 9 लाख रुपये थी. महेश लांगा के पिछले 2022-23 के आयकर रिटर्न में उनकी खुद की आय 9.48 लाख रुपये और उनकी पत्नी की आय 6.04 लाख रुपये बताई, यानी उनकी 1 साल की आय करीब 15.5 लाख रुपये है और उनके घर से 20 लाख रुपये नकद मिले हैं. इसके अलावा, यह भी पता चला है कि महेश और उनकी पत्नी अक्सर लग्जरी होटलों में ठहरते थे.


अहमदाबाद पुलिस ने एक बयान में कहा कि लांगा ने एक खोजी पत्रकार के रूप में अपना व्यक्तित्व बनाए रखा और कथित तौर पर इसका इस्तेमाल कार्यालयों और कर्मियों तक पहुंचने के लिए किया. इसमें कहा गया है कि उन्होंने भारतीयों और विदेशियों के सामने खुद को एक वित्तीय ब्रोकर, भूमि डीलर और लॉबिस्ट के रूप में पेश किया.


बयान में कहा गया है कि लांगा पांच सितारा होटलों और प्रेसीडेंशियल सुइट्स में ठहरते थे, बिजनेस और चार्टर्ड उड़ानें लेते थे, आलीशान कपड़े और महंगी विदेश यात्राएं करते थे. इस कारण अधिकारियों द्वारा आयकर विभाग को एक अलग जांच में शामिल करने के लिए कहा गया.


हिंदू ने क्या कहा?
हिंदू पब्लिशिंग ग्रुप के निदेशक एन राम गुजरात ने कहा कि अगर पत्रकारों को दस्तावेज प्राप्त करने और उनका विश्लेषण करने के लिए जेल में डाल दिया जाता है या उन्हें दंडित किया जाता है, तो खोजी रिपोर्टिंग का अधिकांश हिस्सा खत्म हो जाएगा! उन्होंने 26 अक्टूबर को लांगा के खिलाफ दूसरा मामला दर्ज होने के बाद X पर एक पोस्ट में कहा, 'पत्रकारों के अपने काम के सिलसिले में गोपनीय या संवेदनशील आधिकारिक दस्तावेज प्राप्त करने और उसे संसाधित करने के अधिकार का समर्थन करें. द हिंदू के गुजरात स्थित वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ इस मामले में गुजरात पुलिस द्वारा लगाए गए आरोपों की निंदा करते हैं.'


ताजा केस क्यों लगा?
तीसरा मामला खुशी एडवरटाइजिंग के मालिक प्रणव शाह की शिकायत पर दर्ज किया गया है. शाह ने आरोप लगाया है कि लांगा ने उनसे 28.68 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है.


अहमदाबाद के पुलिस आयुक्त जीएस मलिक ने कहा कि शाह ने दावा किया है कि उन्होंने विज्ञापन कार्य के लिए लांगा को 23 लाख रुपये भेजे किए और सितंबर में पत्रकार द्वारा आयोजित एक पार्टी के लिए लगभग 5 लाख रुपये का भुगतान किया.


पुलिस ने कहा कि लांगा ने खुद को मीडिया और सरकार में एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में पेश किया और शाह को विज्ञापन में सहायता करने की पेशकश की, दावा किया कि वह सकारात्मक समाचार कवरेज के लिए अपने कनेक्शन का उपयोग कर सकता है और एक प्रचार पोर्टल बना सकता है.


शाह ने दावा किया कि उन्होंने एक कार्यालय खरीदने के लिए मार्च और जून में एक दोस्त की कंपनी के माध्यम से लांगा को ₹23,00,000 का भुगतान किया था.


मलिक ने कहा कि लांगा ने शाह को आश्वासन दिया कि वह नकद में राशि वापस कर देगा. शाह ने ₹5,68,250 में लांगा की पत्नी की जन्मदिन की पार्टी का आयोजन किया, जब पत्रकार ने उसे आश्वासन दिया कि वह यह राशि नकद में वापस कर देगा. बाद में लांगा ने भुगतान करने से इनकार कर दिया और शाह को धमकाया.


मलिक ने कहा कि शाह ने बैंक लेनदेन रिकॉर्ड सहित 'पर्याप्त सबूत' प्रदान किए हैं. पुलिस ने कहा कि लांगा के संचालन की जांच से शेल कंपनियों, धोखाधड़ी वाले लेनदेन और संदिग्ध वित्तीय लेन-देन का एक बड़ा जाल सामने आया है. उन्होंने कहा कि इसमें एक व्यापक जीएसटी धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है जिससे सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ है.


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