नई दिल्ली. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की तुलना 18वीं सदी के मध्य के मीर जाफर से की, जिन्होंने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के खिलाफ अंग्रेजों का साथ दिया था. उन्होंने कहा, 'वह केवल असम के मुख्यमंत्री नहीं हैं .. वह भाजपा के खलनायक हैं और उन्हें कांग्रेस से सब कुछ प्राप्त करने के बाद कांग्रेस को खत्म करने का काम सौंपा गया है. अगर कोई मीर जाफर जैसा है, वह हिमंत बिस्वा सरमा हैं. जम्मू-कश्मीर में एक और मीर जाफर है लेकिन वह उत्तर पूर्व के मीर जाफर हैं.'
आजाद को भी निशाने पर लिया
रमेश ने जम्मू-कश्मीर के 'मीर जाफर' का जिक्र नेता गुलाम नबी आजाद से किया, जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस छोड़ दी और अपनी पार्टी शुरू करने की घोषणा की. वहीं भाजपा में आने से पहले सरमा कांग्रेस के साथ थे और तरुण गोगोई कैबिनेट में मंत्री थे.
बीजेपी की तरफ से हो सकता है पटलवार
माना जा रहा है कि जयराम रमेश की इस टिप्पणी के बाद बीजेपी की तरफ से भी पलटवार किया जा सकता है. दरअसल देश के इतिहास में मीर जाफर को उसकी गद्दारी के लिए पहचाना जाता है. महज बंगाल का नवाब बनने की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए मीर जाफर ने पूरे देश को ही दांव पर लगा दिया था. इसी के बाद ही देश में ब्रिटिश हुकूमत मजबूत होती चली गई थी.
#Congress (@INCIndia) General Secretary #JairamRamesh (@Jairam_Ramesh) compared #Assam Chief Minister @himantabiswa to Mir Jafar, the mid-18th century nobleman who sided with the British against the Nawab of Bengal Siraj-ud-Daula.
Photo: IANS (File) pic.twitter.com/sXfy6sG4LJ
— IANS (@ians_india) September 5, 2022
प्लासी के युद्ध में दिया अंग्रेजों का साथ
18वीं शताब्दी में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला थे और मीर जाफर उनका सेनापति था. सिराजु्द्दौला और अंग्रेजों के बीच हुए महत्वपूर्ण प्लासी के युद्ध में मीर जाफर ने धोखा दे दिया और अंग्रेजों की तरफ मिल गया था. अंग्रेज उस वक्त रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में युद्ध लड़ रहे थे.
गद्दारी का कलंक मीर जाफर के साथ चस्पा हो गया
इस युद्ध में सिराजुद्दौला को निर्णायक हार मिली लेकिन मीर जाफर के माथे पर जो कलंक चस्पा हुआ वह आज तक कायम है. यही कारण है कि पश्चिम बंगाल मुर्शीदाबाद स्थित जाफर घर को आज भी हराम ड्योढ़ी के नाम से जाना जाता है.
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