ऑक्सीजन को लेकर क्यों घिरी दिल्ली सरकार, जानिए सुप्रीम कोर्ट की ऑडिट टीम की रिपोर्ट

दिल्ली की इस एक्स्ट्रा वाली डिमांड का असर यह हुआ कि जहां एक तरफ दिल्ली को आवश्यकता से ज्यादा ऑक्सीजन मिल रही थी, वहीं राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य ऑक्सीजन की कमी के कारण बुरी तरह हांफ रहे थे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 25, 2021, 02:03 PM IST
  • सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने गठित की थी टीम
  • इस टास्क फोर्स में दो सरकारी अधिकारी और देश के दस जाने-माने डॉक्टर्स भी शामिल थे
ऑक्सीजन को लेकर क्यों घिरी दिल्ली सरकार, जानिए सुप्रीम कोर्ट की ऑडिट टीम की रिपोर्ट

नई दिल्लीः कोरोना संकट के बीच शुक्रवार को आई एक खबर ने एक बार फिर सियासत और दिल्ली के राजनीतिक हल्कों में हलचल मचा दी. खबर आई कि कोरोना महामारी के घोर संकट के दौरान दिल्ली में की आवश्यकता को चार गुना से अधिक बढ़ा दिया गया था.

यह खबर निकली सुप्रीम कोर्ट की ओर से ही गठित की गई ऑक्सीजन ऑडिट टीम की रिपोर्ट से, जिसने एक बार फिर दिल्ली सरकार को सवालों के घेरे में ले लिया है, बल्कि राज्य सरकार की कोरोना के बीच असल नीयत पर भी प्रश्नचिह्न उठा दिया है. 

रिपोर्ट में यह है दर्ज
रिपोर्ट पर मोटी-मोटी नजर डालें तो ये रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली ने ऑक्सीजन की जो अतिरिक्त जरूरत अपने यहां बढ़ाई थी, इतने में ऑक्सीजन की अतिरिक्त आपूर्ति 12 राज्यों में आपूर्ति को प्रभावित कर सकती थी.

सूत्र यह भी कह रहे हैं कि कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली में बिस्तर क्षमता के हिसाब से (289 मीट्रिक टन) की आवश्यकता थी जबकि दिल्ली सरकार द्वारा दावा किया गया कि उन्हें ऑक्सीजन खपत (1,140 एमटी) चाहिए थी जो क्षमता से चार गुना ज्यादा थी.

दिल्ली की इस एक्स्ट्रा वाली डिमांड का असर यह हुआ कि जहां एक तरफ दिल्ली को आवश्यकता से ज्यादा ऑक्सीजन मिल रही थी, वहीं राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य ऑक्सीजन की कमी के कारण बुरी तरह हांफ रहे थे. 

क्या है सुप्रीम कोर्ट का ऑक्सीजन ऑडिट पैनल? 
कोरोना की दूसरी लहर जब पीक पर थी. तब मई के इस महीने में दिल्ली समेत कई राज्यों में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था. उस दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने के लिए अपील की गई थी.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन कर उनसे ऑक्सीजन वितरण, जरूरत और सप्लाई पर ऑडिट रिपोर्ट तलब की थी.

पैनल में कौन-कौन थे शामिल
इस टास्क फोर्स में दो सरकारी अधिकारी और देश के दस जाने माने डॉक्टर्स भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस टास्क फोर्स को 6 महीने का वक्त दिया गया था, हालांकि इस दौरान वक्त-वक्त पर रिपोर्ट मांगी गई थी. कोर्ट ने इस टास्क फोर्स से ऑक्सीजन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने और बेहतर बनाने के लिए सुझाव मांगे थे.

इस पैनल की अध्यक्षता एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया कर रहे थे. वहीं आश्चर्य की बात है कि दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव (गृह) भूपिंदर एस भल्ला, भी इस पैनल का हिस्सा थे.  इसके अलाव जल शक्ति मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध यादव भी शामिल थे. 

भाजपा हमलावर, कहा- सीएम ने बोला चार गुना झूठ
इस पैनल की ओर से आई रिपोर्ट के बाद जहां एक तरफ दिल्ली सरकार के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा है तो वहीं भाजपा इस रिपोर्ट के आने के बाद दिल्ली सरकार पर हमलावर है.

भाजपा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की जरूरत से चार गुना अधिक मांग की थी और उनके इस ‘‘झूठ’’ के कारण कम से कम 12 राज्यों में जीवन रक्षक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हुई.

उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में ऑक्सीजन का लेखाजोखा करने के लिए गठित की गई एक समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ‘‘चार गुना झूठ’’ बोलकर ‘‘जघन्य अपराध’’ किया है.

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