नई दिल्ली: '14 सितंबर' यानी मंगलवार को पूरे देशभर में हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाएगा. हमें एक बार फिर से बताने और समझाने की कोशिश की जाएगी कि हिंदी कितनी महान है? या फिर हिंदी इतनी महान भाषा क्यों है? हिंदी दिवस ने भारत को दुनिया में एक अलग और खास पहचान दिलाई है. यह जानकर आप गर्व महसूस करेंगे कि हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है. 


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हिंदी दिवस (Hindi Diwas) को जानने, समझने और बोलने वाले लोग देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं. 14 सितंबर का दिन हम सभी हिंदी भाषियों के लिए बेहद खास होता है. इतना ही नहीं. इस अवसर पर स्कूलों और कार्यालयों में हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें हिंदी दिवस पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. 


साल 1953 से हुई हिंदी दिवस की शुरुआत


जब हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया, तब देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने हिंदी के प्रति गांधी जी के प्रयासों को याद किया. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व को देखते हुए 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने को कहा था और फिर साल 1953 से हिंदी दिवस की शुरुआत हो गई. 


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हिंदी दिवस नाम का दिन निश्चित किया जाना ही हिंदी के लिए अभिशाप जैसा बन गया. क्योंकि आज हिंदी साल में सिर्फ एक ही दिन याद आती है. कई दफ्तरों और स्कूलों में इस दिन विशेष के लिए हिंदी में ही कार्य किए जाने की ऐसी प्रतियोगिता या अनिवार्यता रखी जाती है, जैसे कि यह भाषा के गौरव का दिन नहीं बल्कि उसकी याद में मनाया जाने वाला श्रद्धांजलि दिवस हो गया हो. 


हिंदी दिवस के खास मौके पर इन विषयों पर लिखें निबंध


1. हिंदी दिवस को ही क्यों चुना गया राष्ट्रभाषा?


2. 14 सितंबर 1949 को क्यों मिला राजभाषा का अधिकार 


3. 14 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस?


4. हिंदी दिवस का इतिहास


5. भारतियों की पहचान है हिंदी दिवस 


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ऐसे सार्थक होगा हिंदी दिवस


हिंदी खुद में समृद्ध है, इसलिए इसको समृद्ध बनाने के लिए 14 सितंबर के आयोजन की आड़ लेने की बजाय इस दिन को इसके साहित्यिक महत्व, इस भाषा में हुए शोध और इसे समृद्ध बनाने वाले लेखकों-कवियों की यादगार के तौर पर मनाया जाए तो अधिक सार्थक होगा.


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