नई दिल्ली: एयरफोर्स में मिग-27 का युग समाप्त हो रहा है. आज मिग-27 अपनी आख़िरी उड़ान भरेगा. जिसके बाद एयरफोर्स के पास मिग श्रेणी के सिर्फ मिग-21 बायसन विमान ही रह जाएंगे. जोधपुर एयरबेस पर मिग-27 की एकमात्र 29 स्क्वॉड्रन ‘स्कॉर्पियो’ के सभी 7 फाइटर जेट मिग-27 की आखिरी उड़ान होगी.


मिग-27 पाकिस्तान की सेना पर आग बनकर बरसा था


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उड़ान के बाद सभी विमान फेज आउट हो जाएंगे. और मिग 27 की उड़ानें अतीत का हिस्सा बन जाएगी. लेकिन आज मिग-27 के पराक्रम को याद करने का दिन है.


कारगिल के युद्ध में आसमान में गरजा था मिग-27 


कारगिल के युद्ध में जब मिग-27 ने बमवर्षा की थी, युद्ध की दशा और दिशा बदल गई थी. कायर पाकिस्तानी मिग-27 को ख़ौफ़ से भागते नजर आए थे. वो मिग-27 27th दिसंबर को भारत के आसमान में आखिरी बार दिखाई देगा. जोधपुर के एसरबेस में 29 स्क्वॉड्रन के सभी 7 मिग-27 अपनी आखिरी उड़ान भरेंगे. भारतीय वायुसेना के युद्धवीर मिग-27 की जगह अब कौन लेगा.


1999 के कारगिल युद्ध में युद्धवीर बना था मिग-27 


1981 का वो साल था, जब सोवियत रूस के मिग श्रेणी के विमान मिग-27 को पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. उस दौर का सबसे बेहतरीन फाइटर जेट मिग-27 था. पिछले 38 साल से देशसेवा कर रहे मिग-27 को हवा से जमीन पर हमला करने का बेहतरीन फाइटर जेट माना जाता रहा है. और कारगिल में तो जो काम मिग-27 ने किया वो अद्भुत, अकल्पनीय था. मिग-27 का इंडियन एयर फोर्स में गौरवशाली इतिहास रहा है.


मिग -27 का गौरवशाली इतिहास


  • कारगिल के युद्ध में पाकिस्तान को मात देने में अहम भूमिका निभाई

  • सबसे पहले 1981 में मिग 27 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया

  • HAL ने रूस से मिले लाइसेंस के मुताबिक 165 मिग-27 का निर्माण किया

  • बाद में इनमें से 86 मिग-27 फाइटर जेट को अपग्रेड किया गया


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1700 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भरने में काबिल मिग 27 एक साथ चार हजार किलोग्राम के हथियार भी ले जा सकता है. लेकिन भारत का ये युद्धवीर आज से अतीत हो जाएगा. लेकिन मिग-27 के पराक्रम को कभी कोई भुला न पाएगा.


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