जी हिन्दुस्तान के मैनेजिंग एडिटर शमशेर सिंह को मिला दिलीप सिंह पत्रकारिता सम्मान

रायबरेली में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानायक अवध केसरी राना बेनी माधव बख्श सिंह की 218वीं जयंती मनाई गई. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि शांति और सौहार्द बिना शौर्य और पराक्रम संभव नहीं है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 25, 2022, 10:25 AM IST
  • सीएम योगी आदित्यनाथ ने शमशेर सिंह को किया सम्मानित
  • मीडिया जगत में शमशेर सिंह ने काम के दम पर लोहा मनवाया है
जी हिन्दुस्तान के मैनेजिंग एडिटर शमशेर सिंह को मिला दिलीप सिंह पत्रकारिता सम्मान

रायबरेली: रायबरेली में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानायक अवध केसरी राना बेनी माधव बख्श सिंह की 218वीं जयंती मनाई गई. इस मौके पर जी हिन्दुस्तान के मैनेजिंग एडिटर शमशेर सिंह को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिलीप सिंह पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया.

शमशेर सिंह
मीडिया जगत में शमशेर सिंह ने काम के दम पर लोहा मनवाया है. 20 साल की पत्रकारिता में उन्होंने कई बड़ी चुनौतियों का न सिर्फ सामना किया, बल्कि उससे निपटने के लिए अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. शमशेर सिंह ने मीडिया का सबसे बड़ा अवॉर्ड 'रामनाथ गोयनका' (Ramnath Goenka Award) भी हासिल किया है. इसी साल जून में उन्हें एनटी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था, उन्हें बेस्ट टॉक शो (हिंदी) के लिए यह अवॉर्ड मिला था. 

पराक्रम के बिना शांति संभव नहीं: आदित्यनाथ 
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि शांति और सौहार्द बिना शौर्य और पराक्रम संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि आज जब हमने आजादी के शताब्दी वर्ष में भारत को समृद्ध और सशक्त देश के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है तो यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह सकारात्मक सोच के साथ अपनी क्षमता और प्रतिभा का देशहित में योगदान करे. उन्होंने कहा कि प्रथम स्वाधीनता संग्राम के समय जिस तरह पूरा देश एकजुट होकर सामने आया था, एक बार फिर उसी एकजुटता की जरूरत है. 

क्या है अमर नायक राना बेनीमाधव की कहानी
'अवध केसरी' के नाम से विख्यात राना बेनीमाधव बख्श सिंह की वीरता और शौर्य को नमन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राना बेनीमाधव जी ने देश को पूर्ण आजादी मिलने से 90 वर्ष पहले ही पूरे अवध को आजादी का अहसास करा दिया था. 

चुनौतियों का सामना करने के लिए सामाजिक एकजुटता का महत्व बताते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि 1857 से पहले भी स्वतंत्रता की लड़ाई चल रही थी. उन्होंने कहा, ‘‘ महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, गुरु गोबिंद सिंह जैसे महापुरुषों ने भी विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध युद्ध किया, लेकिन 1857 में यह लड़ाई संगठित होकर आगे बढ़ी. मंगल पांडेय, रानी लक्ष्मीबाई तात्या टोपे, जैसे नायकों ने अलग-अलग क्षेत्रों से एकजुट होकर स्वाधीनता आंदोलन की निर्णायक लड़ाई को शुरू किया. अवध में वीरा पासी जी और राना बेनीमाधव जी ने ब्रितानी हुकूमत के विरुद्ध स्वाधीनता की जो अलख जगाई थी, वह जनांदोलन के रूप में 1922 में चौरीचौरा आंदोलन, 1925 में काकोरी कांड से होते हुए 1947 में स्वतंत्रता के लक्ष्य की प्राप्ति तक पहुंची.’’

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