नई दिल्ली.  दुनिया भर में होती हैं ऐसी सड़क दुर्घटनाएं जिनमें अक्सर पाया जाता है कि गाडी-चालक गाडी चलाते चलाते सो गया था. इसे सीधे सीधे यह मान कर भूल जाया जाता है कि ड्राइवर ने नींद पूरी नहीं की थी या पिछले चौबीस घंटों में वह सोया नहीं था, या ज्यादा थकान से नींद आ गई. किन्तु ज्यादातर मामलों में ऐसा भी हो सकता है कि नींद ड्राइवर की पूरी हो या उसे ड्राइविंग करते समय थकान न हुई हो फिर भी उसे नींद आ गई हो - तो इसकी एक वजह है और वो जानलेवा वजह है एक बीमारी.


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इस बीमारी को कहते हैं नार्कोलेप्सी


नार्कोलेप्सी नाम की इस घातक बीमारी का मरीज ड्राइव करते हुए सो सकता है और हैरानी की बात ये भी होगी कि उसे कब नींद आ गई, उसे पता भी नहीं चल पाटा. ये स्थिति बेहद खतरनाक है. न केवल उस ड्राइवर की जान का जोखिम है जो गाड़ी चला रहा है बल्कि उन लोगों की जान भी खतरे में है जो गाड़ी में बैठे हुए हैं और उनकी भी जान का पूरा खतरा है जो लोग इसी सड़क पर अगल-बगल में गाड़ी चला रहे हैं.


क्या होता है जब आता है अटैक 


नार्कोलेप्सी का अटैक अचानक आता है जिसका ड्राइवर को पता भी नहीं चल पाता अर्थात पहले से ऐसा कोई लक्षण नज़र नहीं आता जिससे अनुमान हो जाए कि नार्कोलेप्सी का अटैक आ रहा है  या आ सकता है. इसके अटैक के समय मरीज के शरीर की मांसपेशियां अचानक ढीली पड़ जाती हैं और  हो जाती हैं और वह जो भी काम कर रहा होता है, छोड़ कर गिर पड़ता है या फिर सो जाता है.


दूसरे लक्षण नार्कोलेप्सी के 


अगर किसी को नींद न आने की समस्या हो रही है तो कई तरीके हैं नींद लाने के. लेकिन किसी को अच्छी नींद आ रही हो और ऐसे में अगर अच्छी नींद बार-बार की नींद में बदलने लग जाए तो सावधान होने की जरूरत है. ऐसा थकान या कमजोरी के कारण नहीं होता अपितु तंत्रिका संबंधी किसी समस्या के कारण ऐसा हो रहा हो सकता है. नारकोलेप्सी यही वो बीमारी है जिसमें मरीज को पूरे वक्त नींद आती है और ड्राइविंग करते समय ये बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है.


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