नई दिल्ली.  हैरानी इस बात की है कि जब आज पर्यावरण वैज्ञानिकों को ये बात मालुम है तो क्या पहले मालुम नहीं थी? यदि पहले मालुम थी तो इस स्थिति से बचाव के लिए समय पर कोई कदम क्यों नहीं उठाये गए?   अब बताया जा रहा है कि 2025 तक कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा वायु में अपने उच्चतम स्तर को छू लेगी और उसके बाद दुनिया को उसकी भरपाई करनी ही होगी.


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पांच साल बाद क्या होगा परिणाम 


पांच साल बाद अर्थात 2025 तक जब कार्बनडाइऑक्साइड की वायु में मात्रा अधिकतम स्तर तक पहुंच जायेगी तो इसका इंसानो पर पड़ने वाला सबसे बड़ा और सीधा प्रभाव ये होगा कि लोगों की समझने की शक्ति इससे प्रभावित होगी. 


यूनिवर्सिटी ऑफ साउथहैम्पटन का शोध 


यूनिवर्सिटी ऑफ साउथहैम्पटन के अंतर्गत कराये गए एक शोध से यह जानकारी सामने आई है. इस शोध के परिणाम से यह अनुमान लगाया गया है कि पांच साल बाद 2025 तक कार्बनडाइऑक्साइड का स्तर अपने सबसे ऊंचे पायदान पर पहुँच जाएगा जो कि पिछले 33 लाख साल में सबसे ऊपर का स्तर होगा. 


रोकना होगा CO2 का उत्सर्जन 


शोधकर्ता वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि कार्बनडाइऑक्साइड का उर्त्सजन इसी तरह होता रहा तो तो यह पृथ्वी के सबसे गर्म युग यानि प्लियोसीन युग के बराबर के स्तर पर पहुंच जाएगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी भी हाल में CO2 एमिशन रोकना होगा. उन्होंने बताया कि आज जो गर्मी दुनिया में देखी जा रही है उतनी तो मानव प्रजाति ने विगत 15 लाख वर्षों में इस रिकार्ड स्तर की गर्मी नहीं झेली है जो आज उन्हें झेलनी पड़ रही है.


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