नई दिल्ली. डब्ल्यूएचओ ने चीन के पिछलग्गू की भूमिका काफी समय तक निभाई है. इसलिये चीन की तरह उसकी भी बातों का विश्वास आसानी से नहीं किया जा सकता. चीन की तरह ही डब्ल्यूएचओ भी लगातार यू-टर्न लेता रहा है. पहले डब्ल्यूएचओ ने कोरोना संक्रमण के हवा से फैलने को निराधार बताया था किन्तु अब उसने इस आशंका के प्रति सहमति व्यक्त की है.


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'इनकार नहीं किया जा सकता'


पहले जिस तथ्य के लिये डब्ल्यूएचओ आश्वस्त नहीं था अचानक ही वह उस तथ्य के प्रति सहमत हो गया है.  डब्ल्यूएचओ ने हवा से कोरोना के फैलने की बात आखिर स्वीकार ली है. डब्ल्यूएचओ ने इस विषय पर कहा है कि इस बात को अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना संक्रमण हवा से भी फैल सकता है. अब चूंकि डब्ल्यूएचओ चीन के प्रभावक्षेत्र से मुक्त हो गया लगता है, इसलिये उसकी इस बात पर विश्वास किया जा सकता है.


239 वैज्ञानिकों ने जताई थी आशंका


कुछ समय पहले दुनिया के बत्तीस देशों के 239 वैज्ञानिकों ने यह आशंका जताई थी कि कोरोना का जानलेवा वायरस हवा से भी फैल सकता है. इन वैज्ञानिकों ने कहा था कि उन्हें इस तथ्य के समर्थन में साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं. किन्तु उस समय डब्ल्यूएचओ ने उनकी इस बात से इनकार कर दिया था.


नये दिशा-निर्देश जारी हो सकते हैं


200 से अधिक वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना वायरस के हवा से फैलने के तथ्य को डब्ल्यूएचओ द्वारा स्वीकार किये जाने के बाद दुनिया के वैज्ञानिकों ने इस वैश्विक स्वास्थ्य संगठन से कोरोना महामारी को लेकर नये मार्गदर्शक नियम जारी करने का आग्रह किया है. संभावना है कि नये दिशा-निर्देश कोरोना से दुनिया की जंग को और मजबूत कर सकेंगे.


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