नई दिल्ली. चीनी वायरस कोरोना ने देश का बहुत नुकसान किया है. लोगों के रोजगार छिन गए, मार्केट भी मंदा हो गया और लोग डरे हुए घरों में ही बैठे रह गए. अब बाहर निकले हैं तो बाहर के हालात अच्छे नहीं हैं. किन्तु कर्मवीर लोग समय काल परिस्थिति नहीं देखते, वे अपने कर्मों से अपना इतिहास स्वयं लिखते हैं. धनीराम भी ऐसे ही भारत के एक कर्मवीर हैं.  


आपदा में अवसर ढूंढ लिया 


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कर्मयोगी प्रधानमंत्री मोदी के सन्देश को भारतीयों ने गले लगाया है और अब देश आपदा में अवसर तलाशना सीख रहा है. 40 वर्षीय कारपेंटर धनीराम सग्गू इसकी सुन्दर मिसाल हैं. पंजाब के जिरकपुर में रहने वाले धनीराम ने अपनी रचनाधर्मिता को शक्ल देते हुए लकड़ी की एक ऐसी साइकिल बनाई है जो लोगों का दिल ले गई.


अभी वजन है बीस-बाइस किलो 


चूंकि अभी धनीराम सग्गू द्वारा बनाई गई लकड़ी की ये साइकिल उनके प्रयोग की सफलता की मिसाल है अतएव अब आने वाले दिनों में वे स्वयं इसमें कई सुधार करने वाले हैं. उदाहरण के लिए इस साइकिल का फिलहाल वजन है बीस से बाइस किलो किन्तु उन्हें लगता है कि इसका वजन एक आम साइकिल के आसपास ही होना चाहिए ताकि लोगों के लिए इसे लेकर चलना आसान हो जाए.  


इंटरनेट पर वायरल है साइकिल 


कुछ माह पहले लॉकडाउन लगने के बाद जीरकपुर के कारपेंटर धनीराम के हाथ से उनका काम निकल गया. ऐसे में उन्होंने घर बैठे-बैठे ही दिन रात परिश्रम करते हुए ये लकड़ी की साइकिल बना डाली. और कला पारखी इंटरनेट के लोगों ने इसे बहुत पसंद किया. इसके बाद धनीराम जी और उनका आविष्कार - ये लकड़ी की साइकिल इंटरनेट पर वायरल हो गई है. वैसे इसकी कीमत बहुत अधिक नहीं है, सिर्फ पंद्रह हजार देकर आप इस साइकिल को घर ले जा सकते हैं.


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