प्रयागराज तक तैरेगी हिलसा: जानिए, 43 साल पहले क्यों बदला था रास्ता
43 साल के इंतजार के बाद फ्रेश वाटर फिश के नाम से मशहूर हिलसा मछली प्रयागराज तक पहुंच सकेंगी. आपको बता दें कि हिलसा मछलियों का अधिकांश जीवन समुद्र में ही बीतता है लेकिन बरसात के समय यह मछलियां समुद्र के मुहाने पर आ जाती है.
नई दिल्ली: 43 साल पहले तकनीकी गड़बड़ी के कारण गंगा नदी में हिलसा मछली के घूमने-फिरने पर प्रतिबंध लग गया था. इतने साल के इंतजार के बाद विज्ञानियों ने बताया कि नेविगेशन लॉक के कारण यह समस्या शुरू हुई थी. इस तकनीकी गड़बड़ को अब ठीक किया जा रहा है. जब ये ठीक हो जाएगा तो एक बार फिर हिलसा प्रयागराज तक पहुंच पाएगी.
इसलिए हिलसा ने मोड़ा रास्ता
पुराने दस्तावेजों के मुताबिक साल 1970 तक हिलसा मछली गंगा नदी में प्रयागराज से होते हुए आगरा तक तैरती थी, लेकिन साल 1975 में गंगा नदी पर बने फरक्का बैराज ने हिलसा मछली के रास्ते को रोक दिया. फरक्का बैराज को पार करने में आ रही दिक्कतों के चलते हिलसा मछलियों ने अपना रास्ता मोड़ लिया.
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प्रयागराज तक तैरेगी हिलसा
अब हिलसा मछली के बेहतर प्रजनन को सुनिश्चित किया जा सकेगा. राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (NW-1) पर फरक्का नेविगेशन लॉक पर एक मछली मार्ग का उद्घाटन किया गया है. मालूम हो कि एक समय ऐसा था जब गंगा नदी में हिलसा मछली अधिक मात्रा में पाई जाती थी, लेकिन साल 1978 के बाद सब कुछ बदल गया. हालांकि अब जब नेविगेशन लॉक की इस तकनीकी गड़बड़ को ठीक किया जा रहा है तो उम्मीद है कि एक बार फिर हिलसा प्रयागराज तक पहुंच जाएगी.
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जल्द दूर होगी समस्या
गंगा नदी से हिलसा मछलियों का गायब होने के पीछ का कारण फरक्का बैराज का निर्माण है. इस बैराज के बनने के बाद गंगा नदी के एक बड़े क्षेत्र का संपर्क ब्रैकिस वाटर से कट गया जिसके कारण समुद्र से गंगा में हिलसा मछलियों के आना बंद हो गया. फिश लैडर में कुछ तकनीकी गड़बड़ी के कारण हिलसा मछलियों को बैराज पार करने में दिक्कत होने लगी. और अब खबर आ रही है कि इस समस्या को जल्द से जल्द दूर किया जा रहा हैं.
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सरकार ने तैयार की परियोजना
दरअसल, फरक्का बैराज में एक नेविगेशन लॉक था, जिसके कारण मछलियों को फरक्का से आगे तैरने से रोक दिया था. इस परेशानी को दूर करने के लिए सरकार ने 360 करोड़ की लागत से एक परियोजना तैयार की है. इसके तहत नेविगेशन लॉक को खोलकर मछली पास-वे बनाया जा रहा है.
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आपको बता दें कि एक हिलसा मछली बिहार के पटना, बक्सर और यूपी तक गंगा में मिलती थी. अपनी खासियत होने के कारण हिलसा मछली मासांहारियों की पहली पसंद है. लेकिन अब हिलसा मछली का लगभग खत्म हो चुका है. कोरोना वायरस में लगे लॉकडाउन के दौरान कई फैक्ट्री बंद होने से गंगा का प्रदूषण कम हुआ और नदी के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी तो यह मछलियां वापस लौट आई हैं.
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