दिल्ली: रूस और भारत के सहयोग से निर्मित दुनिया की सबसे तेज सुपर सोनिक क्रूस मिसाइल ब्रह्मोस को खरीदने की चाहत रखने वाले देशों की एक तरह से लाइन लग गई. ये मिसाइल सबसे पहले किस देश को बेची जायेगी, इसका ऐलान होना अभी बाकी है. वर्ष 2020 भारत और रूस के रणनीतिक रिश्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है, जब दोनों देशों की तरफ से रक्षा सहयोग से जुड़ी कुछ बड़ी परियोजनाओं का ऐलान किया जाएगा.


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सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस


मिसाइल के साथ साथ दोनों देश मिलकर ब्रह्मोस जैसी दूसरी युद्ध प्रणाली भी विकसित कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत कई रक्षा उपकरणों को विकसित करने पर बात हो रही है. रूस चाहता है कि भारत के साथ विकसित होने वाले रक्षा उपकरणों की मार्केटिंग तीसरे देशों में भी की जाए. दिल्ली में रूस के दूतावास के उप प्रमुख रोमन बाहुशकिन ने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइस सिस्टम को लेकर दुनिया के तमाम देशों में उत्सुकता है.



दर्जन भर देशों ने दिखाई खरीदने की रुचि


भारत व रूस अगर ब्रह्मोस को किसी तीसरे देश को बेचने में सफल हो जाते हैं तो यह इनकी तरफ से हथियारों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बड़ी धमक होगी. साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि फिलीपींस जैसे पड़ोसी देशों में मिसाइस सिस्टम बेचने को लेकर चीन की तरफ से क्या प्रतिक्रिया दिखाई जाती है. यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि अभी तक जितने देशों ने ब्रह्मोस को खरीदने में रूचि दिखाई है, उसमें से ज्यादातर दक्षिण एशियाई देश हैं.


ये खरीदना देश चाहते हैं मिसाइल



फिलीपींस, थाईलैंड, इंडोनेशिया समेत तकरीबन एक दर्जन देश इसे खरीदने की इच्छा जता चुके हैं लेकिन अभी तक किसी भी देश के साथ बातचीत को अंतिम रूप नहीं दिया गया है. जो भी फैसला होगा वह राजनीतिक, आर्थिक व तकनीकी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा. ब्रह्मोस ने भारत और रूस के रणनीतिक रिश्तों को जो गहराई दी है, उसे अगले वर्ष और पुख्ता किया जाएगा.


समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के आसार


रूस के राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने बताया कि अगले वर्ष भारत और यूरेशियन इकोनोमिक यूनियन के बीच होने वाली मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के आसार हैं. यह व्यापार समझौता भारत और केंद्रीय व उत्तरी यूरेशिया क्षेत्र के देशों (अर्मेनिया, बेलारूस, कजाखस्तान, किर्जिगस्तान व रूस) के बीच होगा. भारत की योजना आगे चल कर इसमें अफगानिस्तान, ईरान जैसे दूसरे देशो को भी शामिल करने की है.


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